ई-पुस्तकें >> अंतिम संदेश अंतिम संदेशखलील जिब्रान
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विचार प्रधान कहानियों के द्वारा मानवता के संदेश
"एक बार मैंने मनुष्यों का साथ किया और उनके साथ उनकी प्रीतिभोज की मेज पर बैठा और उनके साथ मैंने खूब पी। किन्तु उनकी मदिरा मेरे सिर तक न चढ़ पाई और न मेरे वक्षःस्थल में बही। वह केवल मेरे पैरों पर उतर गई। मेरी बुद्धि सूख गई, मेरे ह्रदय में ताला लग गया और वह बन्द हो गया। केवल मेरे पैर धुंधलके में उनके साथ थे।”
"और फिर मैंने मनुष्य का साथ कभी नहीं किया और न उसकी मेज पर कभी उसकी मदिरा पी।”
"इसलिए मैं तुमसे कहता हूं यद्यपि समय के पंजे तुम्हारे सीने को जोर-जोर से पीट रहें हैं, परन्तु इससे क्या? तुम्हारे लिए यही अच्छा है कि तुम अपने दुःख का प्याला अकेले ही पियो।"
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