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अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

प्रश्न-- फिजिकली वीक बच्चे हों?

उत्तर-- मैं समझा आपकी बात को--फिजिकली वीक भी बच्चे हैं। उसका कारण कुल इतना है कि बच्चे पैदा करने की हमारी सारी व्यवस्था अवैज्ञानिक है। सच तो यह है कि अगर थोड़ी भी वैज्ञानिक बुद्धि और समझ हो तो हर आदमी को बच्चा पैदा करने का हक नहीं होना चाहिए। मेरी जो समाज की अपनी कल्पना है उसमें हर आदमी को बच्चा पैदा करने का हक नहीं देता--मेरी समाज की कल्पना में। बच्चा पैदा करने का हक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है क्योंकि आप एक बच्चे को पैदा नहीं कर रहे हैं, आप बच्चे के द्वारा पूरी इस दुनिया को पैदा कर रहे हैं जो कि हजारों साल तक आगे जारी रहेगी। तो बच्चे पर तो नियंत्रण होना चाहिए कि किन मां बाप को सर्टिफाई करती है सरकार, वही बच्चे पैदा कर सकते हैं। हर कोई के करने का सवाल नहीं है। फिर भी अभी कमजोर बच्चे हैं। लेकिन जितने कमजोर बच्चे हैं उनमें से अधिक बच्चे कमजोर इसलिए हैं कि उनको कभी ट्रेनिंग से नहीं गुजारा गया है कि उनकी कमजोरी दूर हो जाए। अगर सौ बच्चे कमजोर हैं तो उनमें बीस बच्चे ही ऐसे साबित होंगे जिनको ठीक नहीं किया जा सकता, बाकी बच्चे ठीक किए जा सकते हैं। और जो बीस बच्चे ठीक नहीं किए जा सकते हैं उनको उन क्षेत्रों में ले जाना चाहिए जहाँ कमजोरी बाधा नहीं है, लेकिन साहस की उनको भी जरूरत है।

साहस और कमजोरी में फासला है। कमजोर आदमी अनिवार्य रूप से साहसी नहीं होता है, ऐसा मत समझ लेना। और ताकतवर आदमी अनिवार्य रूप से साहसी होता है, ऐसी भी समझने की कोई जरूरत नहीं है। साहस कुछ इनर-क्वालिटी है, कमजोरी बिलकुल शरीर की बात है। एक कमजोर आदमी भी साहसी हो सकता है अगर वह मौत को झेलने की हिम्मत करता है। और एक ताकतवर आदमी कमजोर हो सकता है। अगर भाग खड़ा हो और मरने से डरता है। तो मेरा कहना है कि कमजोरी मिटाने की कोशिश करनी चाहिए सब तलों-- जन्म से लेकर मृत्यु तक। और दूसरी बात, कि अभी जो कमजोर बच्चे हैं उनको तो मिटाया नहीं जा सकता है, उनको डायरेक्शन देने की जरूरत है।

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