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अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

सड़क के किनारे प्रकाश के खंभे लगे हुए हैं, स्ट्रीट लाइट लगे हुए हैं। जिस आदमी ने सबसे पहले फिल्डेल्फिया में सबसे पहला रास्ते के किनारे का प्रकाश लगाया, वह था बेंजामेन फ्रेंकलिन। तब तक दुनिया में रास्तों के किनारे कोई प्रकाश नहीं लगाए जाते थे, रास्ते अंधेरे होते थे। बेंजामेन फ्रेंकलिन ने सबसे पहले अपने घर के सामने एक बत्ती लगायी, एक खंभा लगाया। पड़ोस में लोगों ने कहा, क्या तुम यह दिखलाना चाहते हो कि तुम्हारे पास पैसे हैं? क्या तुम यह दिखलाना चाहते हो कि तुम्हारे घर में बड़ा प्रकाश है? यह प्रकाश किसलिए लगाना चाहते हो? क्या घर की सजावट करना चाहते हो? बेंजामेन फ्रेंकलिन ने कहा, कि नहीं, रास्ते पर ऊबड़-खाबड़ पत्थर हैं, रात में यात्री भटक जाते हैं, कोई गिर भी जाता है, रास्ता खोजना मुश्किल हो जाता है। इसलिए मैं एक प्रकाश लगाता हूँ कि राह चलने वाले लोगों को मेरे घर के सामने के पत्थर तो कम से कम दिखायी पडें, कोई उनसे टकरा न जाए और न गिर जाए। उसने तो प्रकाश लगा दिया।

वह बड़े धार्मिक भाव से रोज संध्या अपना दिया जला देता घर के सामने का। लेकिन पडोस के लोग उसके दिए को उठाकर ले जाते। कोई उसका दिया बुझा जाता। जिनके लिए वह दिया लगाया गया था वे ही उसको बुझा देते और उठाकर ले जाते। लेकिन धीरे-धीरे वह रोज लगाता ही गया उस दिए को। न तो वह प्रकाश के संबंध में कोई घोषणा कर रहा है, न कोई प्रचार कर रहा है। लेकिन उसके ही घर के सामने लोग अंधेरे में टकरा जाएं, यह उससे नहीं देखा गया इसलिए प्रकाश का एक दिया अपने घर के सामने जलाता रहा।

धीरे-धीरे लोगों को समझ में बात आनी शुरू हो गयी। राहगीरों को दूर से ही वह अंधेरे रास्ते में वह प्रकाश दिखाई पड़ने लगा और वह प्रकाश राहगीरों को कहने लगा कि आ जाओ, यह रास्ता सुगम है। यहाँ प्रकाश है, अंधेरा नहीं है। पत्थर दिखाई पड़ते हैं। और जब राहगीर उस प्रकाश के पास आते तो वह प्रकाश उनसे कहने लगा कि देख कर चलना, सामने पत्थर है। पीछे की गली कहीं भी नहीं जाती है, पीछे जाकर मकान में समास हो जाती है, वह कोई रास्ता नहीं है। वह प्रकाश बताने लगा कि मार्ग कहाँ है और कहाँ नहीं है। धीरे-धीरे गाँव उस प्रकाश के प्रति आदर से भर गया और धीरे-धीरे दूसरे लोगों ने भी अपने घरों के सामने दिए रखने शुरू कर दिए। और फिर फिल्डेफिया की नगर कमेटी ने सोचा कि क्यों न सभी रास्तों पर प्रकाश कर दिया जाए। फिर उस पूरे नगर मं  प्रकाश हो गया। फिर सारी दुनिया के हर गाँव के रास्तों पर प्रकाश हो गया।

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