ई-पुस्तकें >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
प्रश्न-- अस्पष्ट
उत्तर-- ना, फर्स्ट और सेकेंड का कोई सवाल नहीं है। फर्स्ट और सेकेंड का सवाल मेमोरी में है। जैसे मैं यहां बैठा हूं। मैंने इस तरफ से देखना शुरू किया तो जरूर मैं किसी को पहले दिखता हूं, किसी को दूसरे दिखता हूं, फिर किसी को तीसरा देखता हूं। लेकिन जब मैं पहले को देख रहा हू तब भी दूसरा उसी वक्त पूरा का पूरा मौजूद है। जब मैं तीसरे को देख रहा हूं तब भी दो मौजूद हैं। हम यहां सारे लोग साइमलटेनियसली मौजूद हैं। लेकिन जब मैं देखता हूं, मेरी मेमोरी में मैं जब स्मरण करूंगा तो मैंने पहले एक को देखा, फिर दूसरे को देखा, फिर तीसरे को देखा। जगत में जो एक्जिस्टेंस है वह साइमल्टेनियस है, केवल मेमोरी में पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर है। जगत में यह कहीं भी नहीं है। जगत में अतीत है ही नहीं, जगत में भविष्य है ही नहीं, जगत में सतत वर्तमान है। जगत में कहीं कोई अतीत संग्रहीत नहीं होता, जगत में कहीं कोई भविष्य खुलने को नहीं है। जगत एक इटर्नल नाउ है जो प्रत्येक क्षण पूरा जगत एक सतत प्रवाह है--एक्चुअल जगत जो है।
हमारी स्मृति में अतीत, वर्तमान, भविष्य होते हैं। इसलिए टाइम जो है, समय जो है, वह केवल मेमोरी से पैदा हुई चीज है, टाइम कहीं है नहीं। प्रेजेंट जो हैं वह मेमोरी के हिस्से हैं, वह मेमोरी के हिस्से हैं, इसलिए जिसकी मेमोरी चली जाएगी वह टाइमलेसनेस में चला जाएगा, उसे टाइम का पता नहीं रहेगा। इसलिए लोगों ने कहा, समाधि जो है वह समयातीत है, समय के बाहर है, कालातीत है। वह काल के बाहर है। समाधि में समय नहीं है, काल नहीं है, क्षेत्र नहीं है, केवल होना मात्र है। स्मृति में जो सीक्वेंस है, कुछ चीजें पहले हैं, कुछ चीजें बाद में हैं, कुछ चीजें आगे हैं, उसकी वजह से, उस सीक्वेंस की वजह से टाइम बनता है। अगर सारी मेमोरी विलीन हो जाए, थोड़ी देर को समझ लीजिए, आपकी सारी मेमोरी अगर विलीन हो गई तो पहले आपका जन्म हुआ, बाद में आपकी मृत्यु हुई, सारी मेमोरी अगर विलीन हो गई तो पहले आपका जन्म हुआ, बाद में आपकी मृत्यु हुई, यह आपको पता नहीं चल सकता है। बहुत अजीब सा लगेगा। सारी मेमोरी जब विलीन हो गयी तो आपका पहले जन्म हुआ और मृत्यु बाद में हुई, ऐसा नहीं कहा जा सकता। शायद उस मेरोरीलेस स्थिति में ये घटनाएं साइमल्टेनियस में ये घटनाएं हों ही नहीं। आपको पता ही नहीं पडे़ कि कब आप जन्मे और कब आप मरे। यह कब जो है--आगे और पीछे का संबंध वह स्मृति का है स्मृति विलीन हुई तो कब आगे पीछे विलीन हो गया, सीक्वेंस विलीन हो गया।
इसलिए एक बहुत अदभुत बात, जो मुझे दिखाई पड़ने लगी, महावीर पच्चीस सौ साल पहले मुक्त हुए और आप भी मुक्त हो जाएं, तो हमको लगता है कि पच्चीस सौ साल बाद मुक्त हुए। लेकिन कांसेसनेस का जो जगत है वहां दोनों साइमल्टेनियस मुक्त हो रहे हैं। एक ही साथ मुक्त हो रहे हैं। और यह बात तो अजीब सी होगी, फिर कोई माने ही नहीं होगा दिखने में ऊपर। यह हमारी मेमोरी है जो पच्चीस सौ साल आगे-पीछे करती है। चैतन्य के जगत में सब एक साथ मुक्त हो रहे हैं और एक साथ बद्ध हैं। वहां कोई समय नहीं है, वहां कोई आगे पीछे नहीं है।
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