कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
प्रियदर्शिनी
नेहरु जी की राजदुलारी, बापू की प्यारी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गाँधी थीं जग से न्यारी
दूर दृष्टि, मजबूत इरादा थी ताक़त उनकी
अनुशासन में सबको रखना थी आदत उनकी
निडर वो ऐसी थीं कि डर भी उनसे डरता था
इसी बात की सारी दुनिया में थी शोहरत उनकी
दुनिया भर के नेताओं पर पड़ती थीं भारी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गाँधी थीं जग से न्यारी
बचपन से ही आजादी की थीं वो दीवानी
पूरा करके दिखलाया वो, मन में जो ठानी
बाधाओं के पर्वत तोड़े सुगम करीं राहें
भारत की गरिमा की खातिर दी हर क़ुर्बानी
बता दिया कैसी होती है भारत की नारी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गाँधी थीं जग से न्यारी
जगा दिया ऐसा कि फिर ना सोया हिन्दुस्तान
राह दिखा दी ऐसी फिर ना खोया हिन्दुस्तान
संग-संग रहती थीं, खुशियाँ बाँटा करती थीं
बिछड़ गई हम सब से तो फिर रोया हिन्दुस्तान
पल भर को स्तब्ध रह गई थी दुनिया सारी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गाँधी थीं जग से न्यारी
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