कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
प्रतीक्षा
तन में उसके आग लगी है, मन में मधुशाला है
लगता है परदेसी प्रियतम घर आने वाला है
कमरे की वो करे सफाई,
कोना - कोना झाड़े
आहट हो तो दरवाजे को
देखे आँखें फाड़े
घर की दीवारों में, छत में कहीं नहीं जाला है
लगता है परदेसी प्रियतम घर आने वाला है
दौड़-दौड़ कर, बार-बार वो
खिड़की से भी झाँके
दर्पण में जब चेहरा देखे
आँचल से मुँह ढांके
माथे टीका, कर में कंगन, कानों में बाला है
लगता है परदेसी प्रियतम घर आने वाला है
आकर बैठी है देहरी पर
रस्ता देख रही है
सुधियों की बाहों में खुद को
कसता देख रही है
चेहरा खिला-खिला हाथों में स्वागत की माला है
लगता है परदेसी प्रियतम घर आने वाला है
पल भर में लो बीत गईं सब
सपनों वाली रातें
अब हम तुमसे क्या बतलायें
होने वाली बातें
छलक रहा उसके अधरों पर अमृत का प्याला
तन में उसके आग लगी है, मन में मधुशाला
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