कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
|
8 पाठकों को प्रिय 397 पाठक हैं |
मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
प्रिय कवि
अंसार क़म्बरी मेरे प्रिय कवियों में से एक हैं। उनकी लेखकीय ईमानदारी और रचनाधर्मिता का मैं कायल हूं। पिछले 30 बरस से वह मुझसे किसी न किसी रूप में जुड़े रहे हैं। तराशा तो उनको उनके काव्यगुरु श्रद्धेय श्री कृष्णानन्द चौबे ने है। उनका यह काव्य-संग्रह 'अंतस् का संगीत' हर मायने में बेजोड़ है। दोहा हिन्दी कविता में प्रवेश करने का प्रथम द्वार है। जिसने इसको सिद्ध कर लिया, वह मुकम्मल शायर अथवा कवि बन जाता है और गीत, साहित्य-यात्रा का सर्वोच्च सोपान है। इसकी साधना में वर्षों लग जाते हैं, लेकिन लोग इसके अंतस् का स्पर्श नहीं कर पाते। अंसार क़म्बरी इसके अपवाद हैं। उनके गीतों की लयात्मकता, भाव-प्रवणता, संगीतात्मकता, सरलता और सहज संप्रेषणीयता मुझे ही नहीं, पाठकों को भी मन की गहराइयों के तल तक छुएगी। उनके गीतों का बिम्ब-विधान आधुनिक भी है और परंपरागत भी। उनके दोहों और गीतों दोनों में ही सामाजिक सरोकार और आधुनिकता इस कद्र पुल-मिल गए हैं कि यह कहना मुश्किल हो जाता है कि बह परंपरावादी रचनाकार हैं या नवगीत के वैविध्य को पूरी तरह अपने में समेटे हुए हैं। यदि एक पंक्ति में कहूं तो उनका रचना संसार मुझे 'परंपरा के प्रति मोह और आधुनिकता के प्रति आग्रह के आल-बाल में लिपटा हुआ नजर आता है।'
उनका यह संग्रह 'अंतस् का संगीत' असंख्य पाठकों तक पहुंचे, यही मेरी आकांक्षा है।
बी- 52, गुलमोहर पार्क,
नई दिल्ली- 110048
मो. 9810153728
|