कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
मन से जो भी भेंट दे, उसको करो कुबूल।
काँटा मिले बबूल का या गूलर का फूल।।1
सागर से रखती नहीं, सीपी कोई आस।
एक स्वाति की बूँद से, बुझ जाती है प्यास।।2
एक तरह रहते नहीं, जीवन के हालात।
कभी हुये हैं दिन बड़े, कभी हुई है रात।।3
सूरज बोला चाँद से, कभी किया है गौर।
तेरा जलना और है, मेरा जलना और।।4
जब तक अच्छा भाग्य है, ढके हुए हैं पाप।
भेद खुला, हो जायेंगे, पल में नंगे आप।।5
बना दिये फनकार ने, सुन्दर-सुन्दर चित्र।
मगर किसी भी चित्र सा, दिखता नहीं चरित्र।।6
पिंजरा खाली रह गया, चला न कोई जोर।
अपने हाथ पतंग है, उसके हाथों डोर।।7
या वो इसकी सौत है या वे उसकी सौत।
इस करवट है ज़िन्दगी, उस करवट है मौत।।8
जब प्यासे के आ गई अधरों पर मुस्कान।
पानी - पानी हो गया, सारा रेगिस्तान।।9
दुनिया में तो आ गये, यह भी रखना याद।
एक और संसार है, इस दुनिया के बाद।।10
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