कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
गीत चर्चा
अंतस का संगीत
श्री अंसार क़म्बरी का काव्य संग्रह 'अंतस का संगीत' दोहों व गीतों का एक अनूठा संगम है। उनकी यह कृति काव्यप्रेमी पाठकों के अंतस की प्यास को तृप्ति का एहसास कराने में सफल होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। जनसाधारण की भाषा में लिखे उनके गीतों में प्रयुक्त सरल, सहज और मधुर शब्द व्यापक अर्थों के साथ भाव सम्प्रेषित करते हुये मानवीय संवेदनाओं को स्पन्दित करने की क्षमता रखते हैं। गीत अपना सम्पूर्ण सौन्दर्य तब प्राप्त करता है जब शब्द, अर्थ, भाव, बुद्धि और कल्पना के बेहतर ताल-मेल के साथ उसमें कवि की संवेदनायें भी शामिल हों। सरल शब्दावली के प्रयोग ने श्री कम्बरी के गीतों को प्रासाद गुण की विलक्षण क्षमता से इस कदर नवाजा है कि श्रोता को भावार्थ तक पहुँचने के लिये न तो सिर पकड़ कर बैठना पड़ता है और न ही मग़जमारी करनी पड़ती है। गीत संग्रह 'अंतस का संगीत' वस्तुत: शब्दों की बाजीगरी नहीं बल्कि अर्थों का सागर है, इसमें जो जितना पैठेगा उतना पायेगा।
देश-काल और परिस्थितियों से तालमेल बिठाने की सामर्थ्य ने श्री क़म्बरी को हिन्दी काव्य मंचों का अनिवार्य अंग बना दिया है। उनके गीतों में विरह, वेदना, तृष्णा, प्रेम, परम्परा, कला और अभिनवता आदि का समावेश इतनी कुशलता के साथ हुआ है कि गीतों की गति कहीं अवरुद्ध नहीं होती बल्कि उनके गीत कर्णप्रियता के आनन्द की पूर्ति करते हुये श्रोताओं की प्यास को उत्तरोत्तर जगाये रखते हैं। अपनी सृजनात्मक क्षमता से मानवता का पोषण करने वाले साहित्यकारों की अग्रणी श्रेणी में श्री क़म्बरी का नाम उनकी वर्षों की एकाग्र साहित्य साधना का प्रतिफल है। मध्यमवर्गीय परिवेश में पले-बढ़े श्री क़म्बरी का जन्म मुस्लिम 'सय्यद' परिवार में हुआ। उनके पिताश्री स्व. जब्बार हुसैन रिजवी, नगर महापालिका, कानपुर से बिल्डिंग सुप्रिंटेंडेण्ट के पद से सेवानिवृत्त हुये, वे अच्छे शायर भी थे इसीलिए श्री क़म्बरी अपने गीतों में अभावग्रस्त लोगों के जीवन की विषमता और उनकी आहत मानसिकता को जिस सामर्थ्य से प्रस्तुत करते हैं, वो काबिले तारीफ है।
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