धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र आदित्य हृदय स्तोत्रअगस्त्य ऋषि
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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।
हिन्दूधर्म में भगवान सूर्यदेव की उपासना सेहत और ऊर्जा देने वाली मानी गई है। ये दोनों बातें सफलता, यश व प्रतिष्ठा बढ़ाती हैं। खासतौर पर पितृपक्ष में सूर्य पूजा तो पितृदोष की वजह बनने वाले सभी ग्रहों की शांति कर तमाम परेशानियों को दूर कर देती है। सूर्य उपासना के लिए ही आदित्यहृदय स्तोत्र के पाठ का शुभ प्रभाव मनचाहे मकसद को पूरा करने में बड़ा ही मंगलकारी व चमत्कारी माना गया है।
अगर आप भी मनचाही खुशियों व कामयाबी पाने की कवायद कर रहें हैं तो यथासंभव हर रोज या कम से कम सूर्य उपासना के विशेष दिन रविवार को पाठ करना न चूकें। आदित्यहृदय स्तोत्र के ये विशेष सूर्य मंत्र व सूर्य पूजा का सरल तरीका -
रविवार को प्रातःकाल स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुँह करके गंगाजल से सूर्य को अर्ध्य दें। सूर्यदेव की लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप, दीप से पूजा कर इस आदित्यहृदय स्तोत्र का तीन बार पाठ करें।
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