लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह )

प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह )

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :225
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8584
आईएसबीएन :978-1-61301-113

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

317 पाठक हैं

नव जीवन पत्रिका में छपने के लिए लिखी गई कहानियाँ


सहसा भगत ने उस भिक्षुक से पूछा–क्यों बाबा, आज कहाँ-कहाँ चक्कर लगा आये?

भिक्षुक–अभी तो कहीं नहीं गया भगतजी, पहले तुम्हारे ही पास आया हूँ।

भगत–अच्छा तुम्हारे सामने यह ढेर है, इसमें से जितना अपने हाथ से उठाकर ले जा सकते हो ले जाओ।

भिक्षुक ने क्षुब्ध नेत्रों से ढेर को देखकर कहा–जितना अपने हाथ से उठाकर दे दोगे, उतना ही लूँगा।

भगत–नहीं, तुमसे जितना उठ सके, उठा लो।

भिक्षुक के पास एक चादर थी। उसने कोई दस सेर अनाज उसमें भरा और उठाने लगा। संकोच के मारे और अधिक भरने का उसे साहस न हुआ।

भगत उसके मन का भाव समझकर आश्वासन देते हुए बोले–बस! इतना तो एक बच्चा उठा ले जाएगा।

भिक्षुक ने भोला की ओर संदिग्ध नेत्रों से देखकर कहा–मेरे लिए इतना बहुत है।

भगत–नहीं, तुम सकुचाते हो। अभी और भरो।

भिक्षुक ने एक पंसेरी अनाज और भरा और फिर भोला की ओर संशय दृष्टि से देखने लगा।

भगत–उसकी ओर क्या देखते हो बाबाजी, मैं जो कहता हूँ, वह करो। तुमसे जितना उठाया जा सके, उठा लो।

भिक्षुक डर रहा था कि कहीं उसने अनाज भर लिया और भोला ने गठरी न उठाने दी, तो कितनी भद्द होगी। और भिक्षुकों को हँसने का अवसर मिल जाएगा। सब यही कहेंगे कि भिक्षुक कितना लोभी है। उसे और अनाज भरने की हिम्मत न पड़ी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book