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उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573
आईएसबीएन :9781613011096

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इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘मैं पांच मिनट में तैयार हो जाउंगा।’’

दोनों जिस समय क्लब में पहुंचे तो प्रविष्ट होते ही जो सर्वप्रथम युगल उन्हें दिखाई दिया, वह था मिस पाल और उसका पुरुष मित्र। पाल ने लैसली और मदन को देखा तो अपने मित्र को लेकर इनके समीप आ गई।

‘‘कहिए, मिस पाल! ठीक तो हैं।’’ मदन ने हाथ मिलाते हुए पूछा।

पाल ने मदन और लैसली से हाथ मिलाया। फिर लैसली से पूछने लगी, ‘‘तो तुम्हारी इनसे भेंट हो गई?’’

‘‘हां, उसी दिन मैं इनको यूनिवर्सिटी कार्यालय से पकड़ लाई थी। और उसी दिन से मम्मी के निमन्त्रण पर ये हमारे घर में रहने लगे हैं।’’

‘‘मैं अभी मिस्टर लौगवुड से कह रही थी कि लैसली में यदि किंचित् भी जीवन ज्योति हुई तो वह आज एक सुन्दर युवक के साथ क्लब में आयेगी।’’

‘‘तुम्हारे बाबा कैसे हैं?’’ लैसली ने पूछा।

‘‘वे तो ठीक हैं। तुम्हारे पापा की ओषधि से उन्हें तुरन्त लाभ हो जाता है।’’

मिस पाल ने मदन से अपने साथी का परिचय कराते हुए कहा, ये हैं मेरे ‘चम’ मिस्टर जॉन लौगवुड। यहां से सौ माल के अन्तर पर स्थित एक फार्म में सुपरिन्टेंडेंट हैं। मेरे मिशिगन में होने पर प्रति मंगलवार को ये क्लब में आया करते हैं।’’

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