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कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8502
आईएसबीएन :978-1-61301-191

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महापुरुषों की जीवनियाँ


गेरीबाल्डी का शेष जीवन कपरेरा में व्यतीत हुआ। वह अपने बालबच्चों के साथ शान्ति से जीवन यापन करता रहा। उसकी इन्द्रियाँ शिथिल हो गई थीं। स्वास्थ्य और बल भी बिदा हो चुका था; परन्तु श्रम से कुछ ऐसा सहज प्रेम था कि अन्तिम क्षण तक कुछ न कुछ करता रहा। और जब सब शक्तियां जवाब दे चुकीं, बैठा उपन्यास लिखवाया करता। अन्त में १८८४ ई० में थोड़े दिन बीमार रहकर इस नश्वर जगत से बिदा हो गया—और एक ऐसे पुरुष की स्मृति छोड़ गया, जो स्वदेश का सच्चा भक्त और राष्ट्र का ऐसा सेवक था, जिसने अपने अस्तित्व को उसके अस्तित्व में निमज्जित कर दिया था, और जो न केवल इटली का, किन्तु अखिल मानव जाति का मित्र और हितचिन्तक था।

आज इसका नाम इटालियन जाति के एक-एक बच्चे की ज़बान पर है। उसके साहस, उदारता, ऊँचे हौसले और सौजन्य की सैकड़ों कथाएँ साधारण चर्चा का विषय हैं। शायद ही कोई शहर हो, जिसने उसकी प्रतिमा स्थापित कर अपनी कृतज्ञता का परिचय न दिया हो। पर उसकी कार्यावली का सबसे बड़ा स्मारक वह विस्तृत राज्य है, जो आल्पस पर्वत से लेकर सिसली तक फैला हुआ है और वह राज्य है, जो आज इटालियन के नाम से प्रसिद्ध है।

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