अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
ज्ञान की तेरी तुरी है
ज्ञान की तेरी तुरी है,
आसुरी माया दुरी है।
किरण की राखी प्रकृति ने
हरित कर बाँधी विभव के—
चरण कमलों के चढ़ाए
भार खग-कुल कण्ठ रव से
कमल; के खोले कटोरे
मधु भरे; फेरी धुरी है।
ध्यान में मुनि-मन मने हैं
वेद, विधि, वाणी नियन्त्रण,
सर्व के कर सिमट कर वे
कर रहे हैं समाहित मन
बीज में वट-विपट जैसे,
पौर में जैसे पुरी है।
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