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आशा निराशा
आशा निराशा
प्रकाशक :
सरल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2009 |
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 7595
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आईएसबीएन :9781613010143 |
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘मैं इसको थोथी भावना मानता हूं। मैं भारत की वर्तमान और भविष्य की प्रगति पर गौरव अनुभव करता हूं।’’
लड़की ने वर्तमान और भविष्य की बात पर वार्तालाप करना ठीक नहीं समझा। उसने बात बदल दी। उसने कहा, ‘‘आपने जो स्वप्न देखा था, उसका अर्थ तो आप समझ गये होंगे।’’
‘‘हां! अब तो मैं उस स्वप्न के विषय में अपने पिताजी से भी बात कर चुका हूं और उन्होंने उसका अपने विचार से अर्थ भी समझा दिया है।’’
‘‘और अब आप भारत की राज्यलक्ष्मी को बेड़ियों तथा हथकड़ियों से विनिर्मुक्त समझते हैं क्या?’’
‘‘वे श्रृंखलायें तो टूट गई हैं। परन्तु उस गौरवर्णीय सैनिक के स्थान पर एक हिंदुस्तानी तानाशाह उस पर शासन जमा रहा था। मैं समझता हूं कि मैंने एक ही बम से उसके सिंहासन को हिला दिया है। वह अब लड़खड़ा रहा है। उसका शासन अब कुछ अधिक काल तक नहीं रह सकता।’’
‘‘किसके विषय में आप कह रहे हैं?’’
‘‘मैं भारत के प्रधानमन्त्री श्री जवाहरलाल नेहरू के विषय में कह रहा हूं।’’
‘‘तो वह तानाशाह हैं?’’
‘‘हाँ।’’
‘‘परन्तु वह तो अपने को प्रजातन्त्रवादी जिसे अंग्रेज़ी में ‘डिमोक्रैट’ कहते हैं, घोषित करता है।’’
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