लोगों की राय

मूल्य रहित पुस्तकें >> हिन्दी व्याकरण

हिन्दी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

Download Book
प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 4883
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

216 पाठक हैं

हिन्दी व्याकरण की प्रवेशिका

अध्याय 6

वचन

परिभाषा-शब्द के जिस रूप से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन दो होते हैं-
1. एकवचन
2. बहुवचन

एकवचन

शब्द के जिस रूप से एक ही वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-लड़का, गाय, सिपाही, बच्चा, कपड़ा, माता, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी बंदर, मोर आदि।

बहुवचन

शब्द के जिस रूप से अनेकता का बोध हो उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे-लड़के, गायें, कपड़े, टोपियाँ, मालाएँ, माताएँ, पुस्तकें, वधुएँ, गुरुजन, रोटियाँ, स्त्रियाँ, लताएँ, बेटे आदि।
एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग
(क) आदर के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे-
(1) भीष्म पितामह तो ब्रह्मचारी थे।
(2) गुरुजी आज नहीं आये।
(3) शिवाजी सच्चे वीर थे।
(ख) बड़प्पन दर्शाने के लिए कुछ लोग वह के स्थान पर वे और मैं के स्थान हम का प्रयोग करते हैं जैसे-
(1) मालिक ने कर्मचारी से कहा, हम मीटिंग में जा रहे हैं।
(2) आज गुरुजी आए तो वे प्रसन्न दिखाई दे रहे थे।
(ग) केश, रोम, अश्रु, प्राण, दर्शन, लोग, दर्शक, समाचार, दाम, होश, भाग्य आदि ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग बहुधा बहुवचन में ही होता है। जैसे-
(1) तुम्हारे केश बड़े सुन्दर हैं।
(2) लोग कहते हैं।
बहुवचन के स्थान पर एकवचन का प्रयोग
(क) तू एकवचन है जिसका बहुवचन है तुम किन्तु सभ्य लोग आजकल लोक-व्यवहार में एकवचन के लिए तुम का ही प्रयोग करते हैं जैसे-
(1) मित्र, तुम कब आए।
(2) क्या तुमने खाना खा लिया।
(ख) वर्ग, वृंद, दल, गण, जाति आदि शब्द अनेकता को प्रकट करने वाले हैं, किन्तु इनका व्यवहार एकवचन के समान होता है। जैसे-
(1) सैनिक दल शत्रु का दमन कर रहा है।
(2) स्त्री जाति संघर्ष कर रही है।
(ग) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग एकवचन में किया जा सकता है। जैसे-
(1) सोना बहुमूल्य वस्तु है।
(2) मुंबई का आम स्वादिष्ट होता है।
बहुवचन बनाने के नियम
(1) अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम अ को एँ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन
आँख आँखें
बहन बहनें
पुस्तक पुस्तकें
सड़क सड़के
गाय गायें
बात बातें

(2) आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ‘ए’ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
घोड़ा घोड़े कौआ कौए
कुत्ता कुत्ते गधा गधे
केला केले बेटा बेटे

(3) आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंतिम ‘आ’ के आगे ‘एँ’ लगा देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
कन्या कन्याएँ अध्यापिका अध्यापिकाएँ
कला कलाएँ माता माताएँ
कविता कविताएँ लता लताएँ

(4) इकारांत अथवा ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘याँ’ लगा देने से और दीर्घ ई को ह्रस्व इ कर देने से शब्द बहुवचन में बदल जाते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
बुद्धि बुद्धियाँ गति गतियाँ
कली कलियाँ नीति नीतियाँ
कॉपी कॉपियाँ लड़की लड़कियाँ
थाली थालियाँ नारी नारियाँ

(5) जिन स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में या है उनके अंतिम आ को आँ कर देने से वे बहुवचन बन जाते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
गुड़िया गुड़ियाँ बिटिया बिटियाँ
चुहिया चुहियाँ कुतिया कुतियाँ
चिड़िया चिड़ियाँ खटिया खटियाँ
बुढ़िया बुढ़ियाँ गैया गैयाँ

(6) कुछ शब्दों में अंतिम उ, ऊ और औ के साथ एँ लगा देते हैं और दीर्घ ऊ के साथन पर ह्रस्व उ हो जाता है। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
गौ गौएँ बहू बहूएँ
वधू वधूएँ वस्तु वस्तुएँ
धेनु धेनुएँ धातु धातुएँ

(7) दल, वृंद, वर्ग, जन लोग, गण आदि शब्द जोड़कर भी शब्दों का बहुवचन बना देते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
अध्यापक अध्यापकवृंद मित्र मित्रवर्ग
विद्यार्थी विद्यार्थीगण सेना सेनादल
आप आप लोग गुरु गुरुजन
श्रोता श्रोताजन गरीब गरीब लोग

(8) कुछ शब्दों के रूप ‘एकवचन’ और ‘बहुवचन’ दोनो में समान होते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
क्षमा क्षमा नेता नेता
जल जल प्रेम प्रेम
गिरि गिरि क्रोध क्रोध
राजा राजा पानी पानी

विशेष- (1) जब संज्ञाओं के साथ ने, को, से आदि परसर्ग लगे होते हैं तो संज्ञाओं का बहुवचन बनाने के लिए उनमें ‘ओ’ लगाया जाता है। जैसे-
एकवचन बहुवचन एकवचन बहुवचन
लड़के को बुलाओ लड़को को बुलाओ बच्चे ने गाना गाया बच्चों ने गाना गाया
नदी का जल ठंडा है नदियों का जल ठंडा है आदमी से पूछ लो आदमियों से पूछ लो

(2) संबोधन में ‘ओ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है। जैसे-
बच्चों ! ध्यान से सुनो। भाइयों ! मेहनत करो। बहनो ! अपना कर्तव्य निभाओ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book