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ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 4

देवकांता संतति भाग 4

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2055
आईएसबीएन :0000000

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

''क्या?'' सुनते ही पिशाचनाथ उछल पड़ा- ''रक्तकथा के लिये! लेकिन उसे कैसे पता कि रक्तकथा मेरे पास है?'' - ''मैं आपको सारी बातें विस्तार से ही बताता हूं।'' बलदेवसिंह ने कहा- ''जिस समय आपने मुझे काम पर लगाया था, आपने मुझे यही आदेश दिया था कि मैं आपकी पत्नी-यानी चाची पर नजर रखूं। आपने मुझे यह भी बता दिया था कि कल दिन में जब आप थोड़ी देर के लिये घर आये तो चाची ने आपके पैर छुए और खाना बनाया... आपको वह खाना खाकर सन्देह हुआ, क्योंकि आपको चाची के हाथ के खाने का स्वाद अच्छी तरह पता था। वह खाना एकदम अलग था... उसके बाद आपने थोड़ी देर आराम किया... चाची ने आपके पैर दबाये और जब आप जाने लगे तो वह आपको जाने से रोकने लगी, उसी समय आप समझ गये कि वह चाची नहीं कोई और है। उसके बाद आपने उससे एकाध बात और की, जिससे आपको यकीन हो गया कि वह चाची नहीं है, किन्तु आपने यह भेद उस पर जाहिर नहीं किया कि आपको कुछ शक हो गया है। आप मकान से सीधे यहां चले आये और मुझसे कहा कि- 'इस समय घर पर जो रामकली है वह असली नहीं, बल्कि दुश्मन की कोई ऐयार है, ये पता नहीं लगता कि वह है कौन और रामकली बनकर वहां के पीछे उसका सबब क्या है? यह दुश्मन कौन है और क्या चाहता है?' यह पता लगाने के लिये अभी आप कोई तरकीब सोच ही रहे थे कि इसी मठ में चाची भी आ पहुंचीं।'' यह बात बलदेवसिंह ने रामकली की ओर देखकर कही थी- ''चाची ने बताया कि वे अपने कमरे में सो रही थीं, उन्हें नहीं पता लगा कि उस कैदखाने में वह कैसे पहुंच गईं? कदाचित् इन्हें सोते में ही बेहोश करके ले जाया गया था। जब इनकी आंखें खुलीं तो इन्होंने खुद को एक कैद में पाया। किसी तरह ये उस कैद से फरार होकर यहां तक पहुंच गईं परन्तु यह न जान सकीं कि वे किसकी कैद में थीं। उसी समय आपने एक चाल चली कि दुश्मन को धोखा देने के लिए नकली रामकली को गायब करके उसकी जगह असली चाची को बैठा दिया जाये। उस सारी कार्यवाही में आपने यह सतर्कता बरती थी कि इस सब के बारे में जमना न जान सके। लेकिन जमना ने सबकुछ देख लिया और सारी बात बिगड़ गई। आपने आदेश दिया था कि मैं काली नकाब में मकान के आसपास ही रहूं ताकि दुश्मन अगर कोई चाल चले तो उसके बारे में हमें पूरी जानकारी रहे। ये मैं खुद भी नहीं देख पाया था कि जमना ने आपका पीछा किया है। जिस समय वह वापस आई तो मैं चाची के कमरे में ही था... उसके आने की आहट सुनकर मैं चाची की खाट के नीचे छुप गया था।

''उधर, वापस आने पर जमना चाची को घर पर देखकर चौंक पड़ी, उसने कुछ ऐसी बात की जिनसे मैं समझ गया कि उसने सबकुछ देख लिया, परन्तु चाची ने आपके आदेशानुसार जमना को भेद की कोई बात नहीं बताई और इस तरह जमना को भ्रम हो गया कि जिसका आप अपहरण करके ले गये थे, वह असली चाची हैं और इन्हें वह नकली चाची समझ बैठी। थोड़ी-सी ही बातें करके जमना कमरे से बाहर चली गई। उसी समय मैं पलंग के नीचे से निकलकर आया। बाहर से उस समय चाची चाहे संयत नजर आ रही थीं, किन्तु असलियत ये थी कि ये जमना के बात करने के ढंग से अन्दर-ही-अन्दर बुरी तरह डरी हुई थीं। इन्होंने मेरे कान में कहा- 'ये सारी बातें जल्दी से चाचा को बता दो और उनसे पूछो कि ऐसे समय पर हमें क्या करना चाहिये?' उनका आदेश सुनने के बाद मैं बाहर आ गया।

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