ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 2 देवकांता संतति भाग 2वेद प्रकाश शर्मा
|
0 |
चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
मैंने उनसे उस आदमी का पता पूछा- कि किसके पास कलमदान है तो उन्होंने जवाब नडीं दिया। मेरा एक इरादा तो यह बना कि बिना उमादत्त को बताए ही उन दोनों को कैद कर लूँ-परन्तु उनकी गिरफ्तारी की सूचना उमादत्त के कानों तक - पहुंच चुकी थी।
अगले दिन उन्हें दरबार में पेश करके मैंने कहा-'ये दोनों आज रात मेरी हत्या करने महल में आए थे। ' मैं इस बात से डर रहा था कि कहीं वे उमादत्त के सामने कलमदान की बात न करें-किन्तु आश्चर्य की बात ये है कि वे दोनों दरबार में चुपचाप अपराधी की भांति गरदन झुकाए खड़े रहे। उमादत्त ने उन्हें कैद कर लेने की आज्ञा दी। उसी दिन से मैंने उन्हे तिलिस्म के एक ऐसे स्थान में कैद कर रखा है जिसके बारे में राजा उमादत्त भी नहीं जानते।
उसी दिन से मै बराबर उनसे ' कलमदान का पता पूछ रहा हूं। और अपने हर हथियार का प्रयोग कर रहा हूं मगर सफल नहीं हुआ। आज तक उनका यही कहना है कि किसी भी कीमत पर वे मुझे कलमदान का पता नहीं बताएंगे और वह आदमी कलमदान दरबार में उसी दिन पेश करेगा, जिस दिन मैं पहली बार राजा की गद्दी पर बैठूंगा। अत: जब तक मेरे हाथ वह कलमदान नहीं लग जाता-तब तक मैं राजा नहीं बन सकता और न ही चंद्रप्रभा और रामरतन क्रो समाप्त कर सकता हूं-क्योंकि कलमदान का पता बताने वाले वे दो ही मोहरे हैं। उन्हें अपने हाथों से उस समय तक कैसे खत्म कर सकता हूं जब तक कलमदान मेरे हाथ न लग जाए।
पिशाचनाथ मेघराज की सब बातों को ध्यान से सुनता रहा था। मैं (विक्रम सिंह) उन सब बातों को सुनकर आश्चर्य में डूब गया था। मेघराज की बात समाप्त होने के बाद कुछ क्षण तक सन्नाटा रहा और फिर पिशाच बोला-'इसका मतलब कलमदान का पता--किसी तरह चंद्रप्रभा अथवा रामरतन से पूछना है?'
' मैं तो अपनी हर कोशिश करके थक गया हूं। ' मेघराज बोला--'मगर वे बताते ही नहीं। '
तरकीब तो मेरे दिमाग में आ चुकी है मेघराज, पिशाचनाथ बोला-' 'किन्तु मैं ये सोच रहा हूं कि जब वे दोनों कलमदान का सारा रहस्य जानते थे तो वे दरबार में उमादत्त के सामने चुप क्यों रहे? सारा रहस्य उन्होंने उसी समय भरे दरबार में खोल क्यों नहीं दिया?''
' 'मेरे दिमाग में भी यह प्रश्न आया था। '' मेघराज बोले-' 'परन्तु फिर मैंने स्वयं ही जवाब भी सोच लिया और वह ये कि जो रहस्य उस कलमदान में छुपा हुआ है-अगर वे उसे यूँ ही बताते तो उनकी बात में कोई दम नहीं था। वे अपनी बात को उसी स्थिति मे सिद्ध कर सकते हैं-जबकि' वह कलमदान उन पर हो--और फिर रहस्य ही कुछ ऐसा है कि कलमदान के अभाव में वह बात बेदम है और उस समय उनके पास कलमदान था ही नहीं।''
''हो सकता है कि तुम्हारी बात ठीक हो।'' पिशाचनाथ ने कहा- ''मगर मेरे दिमाग में एक सम्भावना और है। वह यह कि वास्तव में उनके पास वह कलमदान है ही नहीं - बल्कि उन्हें कहीं से वैसे ही कलमदान के बारे में पता लगा हो और तुम्हें डराने और खुद को बचाने के लिए वे कहते हैं कि कलमदान वे अपने किसी जानकार को सौंप आए हैं। - ''अगर ऐसा होता तो वह आदमी जिसके पास बकौल उनके कलमदान होगा - तुम्हें यह धमकी देने अवश्य आता कि या तो तुम चंद्रप्रभा और रामरतन को छोड़ दो अन्यथा मैं कलमदान का रहस्य खोल दूंगा।''
''तुम्हारा यह अनुमान ठीक भी हो सकता है, पिशाचनाथ और गलत भी।'' मेघराज ने कहा- ''सम्भव है कि जिसके पास वह कलमदान हो उसे इन लोगों ने यही आदेश दिया हो कि कलमदान उसी दिन सामने लाए - जबकि मेघराज यानी मैं राजा बन जाऊं।''
''वह कलमदान किसी के पास है अथवा नहीं - इस बात की परीक्षा के लिए एक ही उपाय है कि।'' पिशाच ने कहा- ''तुम बगावत करके राजा बन जाओ, अगर वह किसी के पास हुआ - तो फिर सामने आ ही जाएगा अन्यथा तुम राजा तो बन ही जाओगे।''
''नहीं.. .नहीं पिशाच!'' एकदम घबराकर कह उठा मेघराज- ''तुम नहीं जानते कि वह कलमदान मेरी मौत है। जब तक मैं उसे प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक मैं बगावत करने का स्वप्न भी नहीं देख सकता। तुम केवल कोई ऐसा उपाय सोचो, जिसके जरिए हम कलमदान प्राप्त कर सकें।''
''तरकीब तो मैं सोच चुका हूं।'' पिशाच ने कहा- ''सुनो!'' और फिर इसके बाद कुछ देर तक पिशाच धीरे-धीरे मेघराज के कान में कुछ कहता रहा। उसने मेघराज के कान में क्या कहा मैं सुन नहीं सक़ा - निश्चय ही पिशाच ने कलमदान प्राप्त करने की तरकीब मेघराज को बताई थी - क्योंकि जैसे ही पिशाच ने उसके कान से मुंह हटाया तो मेघराज एकदम खुश होकर उछल पड़ा। बोला- ''भई वाह पिशाच, क्या तरकीब सोची है तुमने ! वास्तव में तुम्हारे दिमाग को मानना पड़ेगा। इस तरकीब से तो हमें कलमदान का एकदम पता लग जाएगा।'' इसके बाद मेघराज खुशी से नाचने लगा - यानी पिशाच ने उसे कोई ऐसी तरकीब बता दी हो, जिसके कार्यान्वित होने पर हर हालत में कलमदान का पता लग जाएगा।''
|