लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 7

देवकांता संतति भाग 7

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : तुलसी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2050
आईएसबीएन :0000000

Like this Hindi book 0

चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

''तो फिर-आप कुछ बातों को बताकर-मेरे दिल के तरद्दुद को कुछ तो दूर कर दीजिए।'' मैंने कहा।

''मैं वो सारे सवाल भी जानती हूं जो तुम्हारे दिमाग में तरद्दुद बने हुए हैं और जिनका तुम जवाब चाहती हो-मगर इस हाल में तुम्हें उन सारे सवालों का जवाब नहीं दे सकती। जितना बता सकती हूं वो ये है कि यहां महादेवसिंह ने पूरा एक दल वना रखा है। महादेवसिंह यहां का एक जबरदस्त ऐयार है और किसी खास दुश्मनी के सबब से यहां की वर्तमान असली बेगम बेनजूर से इसकी कुछ दुश्मनी है। वह एक तरह से उसे हटाकर यहां अपना राज्य कायम करना चाहता है। वर्तमान की जो असली बेगम बेनजूर है, वह असल में महादेवसिंह की कैद में है। अभी तक मैं यह पता लगाने में कामयाब नहीं हो सकी हूं कि असली बेगम बेनजूर को इसने कैद कहां कर रखा है। पहले इसने अपनी लड़की कलावती को यहां बेगम बेनजूर बना दिया और उससे यह मुनादी करवा दी कि बेगम साहिबा किसी खास काम से राज्य से बाहर गई हैं और अपने लौटने तक इस गद्दी का उत्तरदायित्व उसे सौंप गई हैं। यह मुझे पता न लग सका कि उसे यह कैसे मालूम हुआ कि गुरु गुरुवचनसिंह ने तुम्हें वंदना बना रखा है। उसे यह हकीकत भी मालूम है कि असली वंदना देवसिंह को लेने अपने भाई गौरवसिंह के साथ राजनगर गई है। उसी रात मैंने यहां महादेवसिंह और उसके ऐयारों के बीच होने वाली कुछ बातें सुनी थीं। उन बातों से मुझे पता लगा कि इन्हें तुम्हारी सारी हकीकत पता है और उसी वक्त इन्होंने यह साजिश तय की कि ये तुम्हें पकड़कर यहां लायेंगे और यह जाहिर करेंगें कि यहां की रानी वंदना है, सो तुम इस भ्रम में आकर कुछ बोल ही नहीं सकोगी। जब से महादेवसिंह के पांच आदमियों ने पकड़ा, तब से अव तक जो कुछ भी हुआ, वह तुम अच्छी तरह जानती हो। बस, यह और समझ लो कि वह सबकुछ महादेवसिंह का ही किया-धरा है।

क्या यहां की वर्तमान बेगम बेनजूर की शक्ल हमारी वंदना से मिलती-ज़ुलती है? मैंने उससे ये सवाल किया था।

''इस बात का तुम्हें देने के लिए अभी मेरे पास कोई जवाब नहीं है। चण्डीका ने कहा-''तुम बीच में कोई सवाल करोगी तब भी यही फर्क पड़ता है और नहीं करोगी तब भी वही। जो भी कुछ इस वक्त मुझे तुम्हें बताना है-यानी कि मैं बिना तुम्हारे किसी सवाल के ही बता दूंगी और जो नहीं बताना है, वह तुम्हारे हजार सवालों के बाद भी नहीं बताऊंगी। जो भी कुछ तुम्हारे साथ हुआ, वह उसी रात महादेवसिंह ने अपने ऐयारों की मजलिस में बैठकर तय कर लिया था। यानी कि मुझे बखूबी मालूम था। तुम्हें गिरफ्तार करके लाना, बाद में वंदना की तस्वीर को महारानी कहकर तुमको प्रणाम करवाना, तुम्हें कुछ देर के लिए ऐसी कैद में पहुंचा देना, जहां वंदना की तस्वीर लगा दी गई हो। वहां से फिर उसी वक्त महादेव द्वारा तुम्हें आजाद करना। उसकी इस तरह की बातें-मानो असल में वंदना ही बेगम बेनजूर हो, फिर तुम्हें उस कमरे में पहुंचाना, जिसमें मैंने उस वक्त तुम्हें कागज पहुंचाया था। यह सारे काम तुम्हारे सामने इसलिए किए गए कि तुम यह समझने लगो कि हकीकत में किसी तरह की ऐयारी करके वंदना यहां बेगम बेनजूर वनी हुई है और फिर महादेवसिंह-उसका सबसे खास और वफादार आदमी है!

''और सब कुछ मालूम होने के बाद भी तुमने होने दिया। मैंने कहा-''क्या तुम उनकी साजिश के बीच में किसी तरह की गइबड़ नहीं कर सकती थीं?

''गड़बड़ तो मैं सारी ही कर सकती थी-लेकिन जितनी की जरूरत थी उतनी ही की। चण्डीका ने बताया- 'इतनी की ही जरूरत थी कि मैं तुम्हारे पास यह पैगाम पहुंचा दूं कि तुम महादेवसिंह के कहे मुताबिक ही काम करे जाओ। सो मैंने किया। इससे ज्यादा करने की मुझे जरूरत भी न थी, न इस वक्त है-हां, अब भी तुम उसके कहे मुताबिक ही सारा काम करती जाओ।

''लेकिन इससे फायदा क्या होगा?

''फायदे को अभी तुम नहीं समझोगी!' चण्डीका ने कहा-''हां, तो मैं ये कह रह थी कि इसने तुम्हें फंसाकर भरे दरबार में अपनी बेटी कलावती की गर्दन काट दी। ये मत समझो कि

हकीकत में उसने अपनी बेटी की ही गर्दन काट दी। असल में उस राज दरबार में कलावती की सूरत बनाए महादेवसिंह की ही ऐयार थी। नाटक के मुताबिक उसी की गर्दन सबके सामने काट दी गई।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai