लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15495
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

3. भगवद्गीता के श्लोक

A. गीता माहात्म्य :

1. प्रारब्धं भुज्य मानोहि गीताभ्यासरतः सदा।
स मुक्तः स सुखी लोके कर्मणानोपलिप्यते।।
2. गीतार्थंध्यायते नित्यं कृत्वाकर्माणि भूरिषः।
जीवंमुक्ता स विज्ञेयो देहान्ते परम पदम्।।
3. गीता, गंगा, च गायत्री, सीता, सत्या, सरस्वती।
ब्रह्मविद्या, ब्रह्मवल्ली, त्रिसन्ध्या मुक्तिगेहिनी।
अर्द्धमात्रा, चिदानन्दा, भवह्नी, भयनाशिनी।
वेदत्रयी, परानन्ता तत्वार्थ ज्ञान मंजरी।
इत्येतानि जपे नित्यं नरो निश्चल मानषः।
ज्ञानसिद्धिं लभेत्शीघ्रं तथान्ते परमं परम्।


B. गीता श्लोक (अध्याय-श्लोक)

1. हतो वा प्राप्यसि स्वर्गं, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम।
तस्मादुत्तिष्ठ कौंतेय युद्धाय कृत निश्चयः।।
(द्वितीय अध्याय - 37)

2. सुख दुखे समे कृत्वा लाभा-लाभौ जया-जयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पाएं वाप्स्यासि।।
(द्वितीय अध्याय - ३8)

3. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्।

मा कर्मफलहेतुर्भूमा ते संगोऽस्तिकर्मीताः।।
(द्वितीय अध्याय - 47)

4. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।

न, चैनं 'क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
(द्वितीय अध्याय - 23)

5. वासान्सि जीर्णानि यथा विहाय,

नवानि ग्रहणाति नरोपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा,
निन्यानि संयाति नवानि देही।।
(द्वितीय अध्याय - 22)

6. अभयं, सत्व, सभुद्धिर्ज्ञान, योग, व्यवस्थितिः।

दानं, दमश्च. यज्ञश्च, स्वाध्याय, स्तप, आर्जवम्।।  
(सोलहवां अध्याय -।)

7. ब्रम्हार्पणं ब्रह्महविर्ब्रम्हाग्नौ ब्रह्मनाहुतम्।

ब्रम्हैव तेन गन्तव्यं ब्रम्हकर्म समाधिनः।।
(चतुर्थ अध्याय - 24)

8. ये यथा मा प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।

मुम वर्तमान्वर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वषः।।
(चतुर्थ अध्याय - ११)

9. अनन्याश्चिंतयतो मां ये जनाः पर्युपासते।

तेषां नित्या भियुक्तानां योगक्षेम वहाम्यहम्।।
(नवम अध्याय - 22)

10. सर्वधर्मांपरित्र्यज्य मा मेकं शरणं ब्रज।

अहंत्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षैस्यामि मा शुचः।।
(अठारहवाँ अध्या - 66)  

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book