लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> इक्कीसवीं सदी बनाम उज्जव भविष्य भाग-1

इक्कीसवीं सदी बनाम उज्जव भविष्य भाग-1

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15494
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

विज्ञान वरदान या अभिशाप

वास्तविकता, जिसे कैसे नकारा जाए ?


समस्त विश्व के आधे प्रतिभाशाली लोग युद्ध उद्देश्यों के निमित्त किए जाने वाले उद्योगों में प्रकारांतर से लगे हैं। पूँजी और इमारतें भी इसी प्रयोजन के लिए घिरी हुई हैं। बड़ों के चिंतन और कोशल भी इसी का ताना बाना बुनने में उलझे रहते हैं। इस समूचे तंत्र का उपयोग यदि युद्ध में ही हुआ, तो समझना चाहिए कि परमाणु आयुध धरती का महाविनाश करके रख देंगे। तब यहाँ जीवन नाम की कोई वस्तु शेष नहीं रहेगी। यदि युद्ध नहीं होता है, तो दूसरे तरह का नया संकट खड़ा होगा, जो उत्पादन हो चुका है, उसका क्या किया जाए? जन-शक्ति, धन-शक्ति और साधन-शक्ति इस प्रयोजन में लगी है,उसे उलट कर नए क्रम में लगाने की विकट समस्या को असंभव से संभव केसे बनाया जाए?"

इस सब में भयंकर है मनुष्य का उल्टा चिंतन, संकीर्ण स्वार्थपरता से बेतरह भरा हुआ मानस, आलसी, विलासी और अनाचारी स्वभाव। इन सबसे मिलकर वह प्रेत-पिशाच स्तर का बन गया है। भले ही ऊपर से आवरण वह देवताओं का, संतों जैसा ही क्यों न ओढ़े फिरता हो? स्थिति ने जनसमुदाय को कातर-आतुर बनाकर रख दिया है। इस सबका समापन किस प्रकार बन पड़ेगा? इन्हीं परिस्थितियों में रहते, अगले दिनों क्या कुछ बन पड़ेगा? इस चिंता से हर विचारशील का किंकर्तव्यविमूढ़ होना स्वाभाविक है। सूझ नहीं पड़ता कि भविष्य में क्या घटित होकर रहेगा?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai