आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री प्रार्थना गायत्री प्रार्थनाश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री प्रार्थना
गायत्री स्तवन (हिंदी पद्यानुवाद)
शुभ ज्योति के पुंज, अनादि अनुपम,
ब्रह्माण्ड व्यापी आलोक कर्त्ता।
दारिद्र्य दु:ख भय से मुक्त कर दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 1
ऋषि देवताओं से नित्य पूजित,
हे भर्ग भव बंधन मुक्ति कर्त्ता।
स्वीकार कर लो वंदन हमारा,
पावन बना दो हे देव सविता।। 2
हे ज्ञान के घन त्रैलोक्य पूजित,
पावन गुणों के विस्तार कर्त्ता।
समस्त प्रतिभा के आदि कारण,
पावन बना दो हे देव सविता।। 3
हे गूढ़ अंत:करण में विराजित,
तुम दोष-पापादि संहार कर्त्ता।
शुभ धर्म का बोध हमको करा दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 4
हे व्याधि नाशक हे पुष्टि दाता,
ऋग्, साम, यजु वेद संचार कर्त्ता।
हे भूर्भुव: स्व: में स्व प्रकाशित,
पावन बना दो हे देव सविता।। 5
सब वेद विद, चारण, सिद्ध योगी,
जिसके सदा से हैं गान कर्त्ता।
हे सिद्ध संतों के लक्ष्य शाश्वत,
पावन बना दो हे देव सविता।। 6
हे विश्व मानव से आदि पूजित,
नश्वर जगत् में शुभ ज्योति कर्त्ता।
हे काल के काल- अनादि ईश्वर,
पावन बना दो हे देव सविता।। 7
हे विष्णु, ब्रह्मादि द्वारा प्रचारित,
हे भक्त पालक, हे पाप हर्त्ता।
हे काल-कल्पादि के आदि स्वामी,
पावन बना दो हे देव सविता।। 8
हे विश्व मंडल के आदि कारण,
उत्पत्ति -पालन- संहार कर्त्ता।
होता तुम्हीं में लय यह जगत् सब,
पावन बना दो हे देव सविता।। 9
हे सर्वव्यापी, प्रेरक, नियंता,
विशुद्ध आत्मा कल्याण कर्त्ता।
शुभ योग पथ पर हम को चलाओ,
पावन बना दो हे देव सविता।। 10
हे ब्रह्मनिष्ठों से आदि पूजित,
वेदज्ञ जिसके गुणगान कर्त्ता।
सद्भावना हम सब में जगा दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 11
हे योगियों के शुभ मार्गदर्शक,
सद्ज्ञान के आदि संचार कर्त्ता।
प्रणिपात स्वीकार जो हम सभी का,
पावन बना दो हे देव सविता।। 12
ब्रह्माण्ड व्यापी आलोक कर्त्ता।
दारिद्र्य दु:ख भय से मुक्त कर दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 1
ऋषि देवताओं से नित्य पूजित,
हे भर्ग भव बंधन मुक्ति कर्त्ता।
स्वीकार कर लो वंदन हमारा,
पावन बना दो हे देव सविता।। 2
हे ज्ञान के घन त्रैलोक्य पूजित,
पावन गुणों के विस्तार कर्त्ता।
समस्त प्रतिभा के आदि कारण,
पावन बना दो हे देव सविता।। 3
हे गूढ़ अंत:करण में विराजित,
तुम दोष-पापादि संहार कर्त्ता।
शुभ धर्म का बोध हमको करा दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 4
हे व्याधि नाशक हे पुष्टि दाता,
ऋग्, साम, यजु वेद संचार कर्त्ता।
हे भूर्भुव: स्व: में स्व प्रकाशित,
पावन बना दो हे देव सविता।। 5
सब वेद विद, चारण, सिद्ध योगी,
जिसके सदा से हैं गान कर्त्ता।
हे सिद्ध संतों के लक्ष्य शाश्वत,
पावन बना दो हे देव सविता।। 6
हे विश्व मानव से आदि पूजित,
नश्वर जगत् में शुभ ज्योति कर्त्ता।
हे काल के काल- अनादि ईश्वर,
पावन बना दो हे देव सविता।। 7
हे विष्णु, ब्रह्मादि द्वारा प्रचारित,
हे भक्त पालक, हे पाप हर्त्ता।
हे काल-कल्पादि के आदि स्वामी,
पावन बना दो हे देव सविता।। 8
हे विश्व मंडल के आदि कारण,
उत्पत्ति -पालन- संहार कर्त्ता।
होता तुम्हीं में लय यह जगत् सब,
पावन बना दो हे देव सविता।। 9
हे सर्वव्यापी, प्रेरक, नियंता,
विशुद्ध आत्मा कल्याण कर्त्ता।
शुभ योग पथ पर हम को चलाओ,
पावन बना दो हे देव सविता।। 10
हे ब्रह्मनिष्ठों से आदि पूजित,
वेदज्ञ जिसके गुणगान कर्त्ता।
सद्भावना हम सब में जगा दो,
पावन बना दो हे देव सविता।। 11
हे योगियों के शुभ मार्गदर्शक,
सद्ज्ञान के आदि संचार कर्त्ता।
प्रणिपात स्वीकार जो हम सभी का,
पावन बना दो हे देव सविता।। 12
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