आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
घोषा
घोष अर्थात शब्द। घोषा अर्थात शब्द स्वरूपा। शब्द की श्रुतियों में ब्रह्म माना गया है। 'शब्दो वा ब्रह्म'। शब्द की शक्ति अपार है। अखिल आकाश में व्याप्त ईश्वर में गायत्री मंत्र के स्फुट या अस्फुट उच्चारण से जो तरंगें उत्पन्न होती हैं वे विश्व के मानव मस्तिष्कों से टकराकर उनमें भी अपनी प्रतिध्वनि उत्पन्न करती हैं। जिस प्रकार उत्तम प्रवचन सुनते रहने से सुनने वालों के मस्तिष्कों में थोड़ी बहुत सद्वृत्ति बढ़ती ही है, उसी प्रकार गायत्री मंत्र का जप या उच्चारण करने से उनकी परम मंगलमयी तरंगें उठकर अगणित मस्तिष्कों के सूक्ष्म पदों तक टकराने लगती है। फलस्वरूप उनके मस्तिष्कों में भी किन्हीं अंशों में धार्मिकता का उदय होता है। इस प्रकार गायत्री का जप एक प्रकार से विश्व की महत्त्वपूर्ण मानसिक सेवा है। मंत्रोच्चारण से उत्पन्न ध्वति तरंगें अपने अंतराल में छिपे हुए अनेक सूक्ष्म चक्रों एवं उपत्यकाओं को भी जाग्रत करती हैं। शब्द विज्ञान के आधार पर गायत्री मंत्र जप आत्मकल्याण का एक श्रेष्ठ साधन है।
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