आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
गुह्या
गुह्य अर्थात गुप्त-छिपी हुई। यों गायत्री के २४ अक्षर प्रकट हैं। सबको मालूम है, पुस्तकों में छपे हैं फिर भी उसका सारा कलेवर छिपा हुआ है। कुछ पुस्तकों में उसका थोड़ा-सा विज्ञान प्रकट भी किया गया है, पर अभी तक जितना अप्रकट है, जितना गुप्त है, जितना रहस्यमय है, उसका अनुमान लगा सकना भी साधारण व्यक्ति के लिए कठिन है। उसके सामान्य विधान जो सर्वसाधारण के लिए उपयोगी हैं, जहाँ-तहाँ पुस्तकों में लिखे हैं, पर जो असाधारण तत्त्वज्ञान एवं महत्त्वपूर्ण रहस्य है वह अप्रकट ही रखा गया है। उस ज्ञान और रहस्य को केवल अधिकारी व्यक्ति ही सदुपयोग के लिए उपलब्ध कर सके, इसलिए उन बातों को गुप्त रखा गया है। अनुभवी मार्गदर्शक किन्हीं सत्पात्रों की प्रतीक्षा करते हैं और जब कभी ऐसे जिज्ञासु मिल जाते हैं, वे अपने अनुभव में आए हुए रहस्यों को बड़ी प्रसन्नतापूर्वक बता देते हैं, पर अनधिकारी यदि उन्हें प्राप्त कर लें तो जल्दबाजी, अस्थिरमति और अशुद्ध भावनाओं के कारण या तो साधना काल में ही अपना कुछ अनिष्ट कर बैठते हैं या फिर सफल भी हुए तो दूसरों को आश्चर्यचकित करने का एक खेल बनाने में सांसारिक कामनाओं में दुरुपयोग करते हैं। ऐसे लोगों के हाथ यह विद्या विशेषतया गायत्री का तंत्रिक पक्ष पड़ने न पाए, इसका बहुत ध्यान रखा गया है। प्रयत्न करने पर उससे भी बहुत अधिक जाना जा सकता है।
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