|
आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
|
5 पाठक हैं |
||||||
गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
गुणवती
आकाश गंगा एक निहारिका मात्र नहीं है, वरन् उसमें हजारों तारे भी जुड़े हुए हैं। उसी प्रकार गायत्री केवल सद्बुद्धिदायिनी मंत्र शक्ति मात्र नहीं है, वरन् उसके साथ हजारों सद्गुण समन्वित हैं। जब गंगा दिखाई देती है, तो उससे संबंधित तारे भी दृष्टिगोचर होते हैं। जिधर यह आकाश गंगा घूमती है उधर ही उसके तारे भी चलते हैं। इसी प्रकार जहाँ गायत्री का उदय होता है, वहाँ उससे संबंधित अनेक सद्गुण भी अपने आप प्रकट होने लगते हैं। उपासक को माता का अनुग्रह अनेक दिव्य गुणों के रूप में प्राप्त होता है। उसके मन, वचन और कर्म से एक-से-एक बढ़कर श्रेष्ठताएँ जब उदय होती हैं, तो जीवन तारागणों से विकसित निशा की तरह झिलमिलाने लगता है।
|
|||||










