लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15484
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन

अलक्ष्मीघ्नी


अलक्ष्मी दरिद्रता को दूर करने वाली गायत्री है। दरिद्रता के मुख्य कारण प्रारब्ध पुण्यों की समाप्ति, आलस्य, अयोग्यता परिस्थितियों की प्रतिकूलता, साधनों की कमी, सन्मित्रों का अभाव आदि है। गायत्री की उपासना से मनुष्य के स्वभाव में आवश्यक परिवर्तन तुरंत ही आरंभ हो जाते हैं। उसके गुणों में, कार्यों में, स्वभाव में ऐसा हेर-फेर हो जाता है कि प्रतिकूलताएँ भी अनुकूलता में बदलने लगती हैं। आलस्य के स्थान पर उत्साह, योग्यता संपादन करने की तत्परता, प्रतिस्थितियों को सुलझाने में योग्य सूझ-बूझ, स्वभाव में स्नेह-सौजन्य एवं माधुर्य बढ़ने से मित्रों की संख्या तथा उनके सहयोग की मात्रा में वृद्धि के साधन जुटने लगते हैं। मितव्ययिता का स्वभाव बनता है और जितना उपलब्ध है उतने से काम चलाने एवं संतुष्ट रहने की वृत्ति विकसित होती है। दैवी अनुग्रह के आकस्मिक अवसर भी ऐसे मिलते हैं जिनसे दरिद्रताजन्य दु:खों से छुटकारा मिलता है। आमतौर से गायत्री उपासक सदा भरे-पूरे ही रहते हैं। भूखा-नंगा, दीन-दरिद्र उनमें से कोई विरला ही मिलेगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai