नई पुस्तकें >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान आकृति देखकर मनुष्य की पहिचानश्रीराम शर्मा आचार्य
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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।
कान
आकृति विद्या के आचार्यों का मत है कि मध्यम आकार के छोटे छेद वाले सुन्दर सुडौल आकार के कान बहुत शुभ हैं। ऐसे व्यक्ति में वे गुण होते हैं जिनके कारण उसका जीवन बहुत आनन्दपूर्वक व्यतीत होता है।
लम्बे बड़े कानों वाला विनम्र स्वभाव, सदाचारी तथा डरपोक होता है। आपने देखा होगा कि खरगोश प्रकृति डरपोक स्वभाव वालों के कान बड़े-बड़े होते हैं किन्तु यदि उनकी जड़ें मोटी हों तो बड़े कान होना महापुरुष, नेता तथा धर्मात्मा होने के चिह्न हैं। गौतम बुद्ध तथा महात्मा गाँधी के चित्रों में हम उनके मोटी जड़ वाले बड़े-बड़े कानों को देख सकते हैं।
इसी प्रकार चूहे के से बहुत छोटे कानों को छोड़कर साधारणत: छोटे कान प्रेम प्रीति, स्नेह, सहानुभूति के लक्षण हैं, हाँ यदि बहुत ही छोटे कान हों तो उन्हें छोटे दिल, छोटे दिमाग तथा छोटे हौसले की निशानी समझा जा सकता है।
पीछे की ओर सिर की बगलों से चिपके हुए कान लज्जाशीलता संशयात्मा तथा दब्बूपन के सूचक हैं। इठे हुए से कान कुटिलता तथा टेढ़ेपन का इजहार करते हैं। हाथी के सीधे खड़े कान हिम्मत, मजबूती, मर्दानगी बताते हैं। जिनकी जड़ें बहुत ही कमजोर हों और कान सींग की तरह शरीर से जुदापन प्रकट करते हुए लग रहे हों तो लालच और क्रूरता की मात्रा बढ़ी-चढी होगी।
मोटे, सीधे और ऊँचे कानों वाले बड़े विचित्र स्वभाव के होते हैं। साधारणत: वे सीधे-साधे तरीके से रहते हैं पर यदि उन्हें उत्तेजित किया जाय या सताया जाय तो इतने भयंकर बन जाते हैं जिसका सँभालना कठिन है। इस आवेश में वे ऐसे कृत्य कर सकते हैं जिसकी उनका सीधपन देखते हुए कभी आशा नहीं की जाती थी। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के कान ऐसे ही थे, उस महलों में रहने वाली महिला ने अन्त में कैसा भयंकर रूप धारण किया था इस बात को इतिहास वेता भली प्रकार जानते हैं।
कानों की जड़ यदि आँखों की सीध से ऊँची हों तो उससे स्वभाव की गर्मी प्रकट होती है। क्रोधी, खूंखार, बदला लेने वाले, झगड़ालू व्यक्तियों की कानों की जड़ें अक्सर आँखों की सीध से ऊँची होती हैं। सामान्यत: कानों की जड़ें आँखों की सीध में रहनी चाहिए, मध्यम श्रेणी के सद्ग्रहस्थ इसी प्रकार के होते हैं, किन्तु यदि कान की जड़ का ऊपरी भाग आँख के ऊपरी भाग से कुछ नीचा हो तो वह उत्तम स्वभाव, स्वस्थ शरीर और अच्छा मस्तिष्क होने का प्रमाण है।
शंख के से कान वाला समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त, अगुआ होता है। जिसके कानों पर बड़े-बड़े बाल हों वह बड़ी उम्र वाला होता है। छोटे माँस रहित, पतले कान वाला मनुष्य हेटे काम करने वाला होता है और दु:ख दरिद्रता की जिन्दगी बिताता है।
बहुत नसों की भरमार जिसके कानों में चमक रही हो वह दुष्ट स्वभाव और क्रूर कर्मी होता है। सिंघाड़े की तरह जिसका कान सिकुड़ कर कुकड़ी बन रहा हो ऐसा व्यक्ति प्राय: अविश्वासी और दरिद्री होता है। पहलवानों पर यह बात लागू नहीं होती क्योंकि वे लोग कुश्ती लड़ने के लिहाज से अपने आप मरोड़-मरोड़ कर कानों को इस प्रकार का बना लेते हैं।
आँखों से दूर फासले पर जिनके कान होते हैं उनकी योग्यता एवं विचार शक्ति बढ़ी-चढ़ी पाई जाती है जिनके कान कनपटी के समीप हों वे उदासीन, वैरागी स्वभाव के होते हैं, कामों में उनका मन कम लगता है और एकान्त सेवन की इच्छा किया करते हैं।
कान की परीक्षा करते समय अभ्यासियों को यह मोटी बातें याद रखनी चाहिए कि छोटे-पतले, हलके कान, ज्ञान, विद्या, बुद्धि, कोमलता तथा नम्रता के सूचक हैं। मध्यम श्रेणी के कान स्वस्थता तथा आनन्द प्रियता के चिह्न हैं और बड़े झंझड़, लाल और कठफूला से कान कुछ विशेष अपवादों को छोड़कर मोटे स्थूल और हलके दर्जे के स्वभाव के लक्षण हैं।
कानों के छेद पतले होना बहुत शुभ है। ऐसे मनुष्य जहाँ रहते हैं वहाँ सदा आनन्द मंगल बना रहता है। अधिक चौड़े छेद वाले कान ऐसे लोगों के होते हैं जो अपने लिए तथा दूसरों के लिए कुछ न कुछ बखेड़ा खड़ा किया करते हैं। बाहर से देखने पर जो छेद बहुत दूर तक दिखाई पड़ते हैं अर्थात् जो छेद सीधे होते हैं वे बड़े परिश्रमी तथा शारीरिक दृष्टि से मजबूत होते हैं। जिनके छेद थोड़ी ही दूर से मुड़े होते हैं, बाहर से देखने पर छेद जरा-सा मालूम होता है ऐसे लोगों की मित्रता बहुतों से होती है। उनका स्वभाव मिलनसार होता है।
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