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रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह

मेरे राहबर...

 

पं. कृष्णानन्द चौबे -

जिन्होंने पहली मुलाक़ात से ही अपने प्रोत्साहन से मुझे अभिभूत किया और वह आशीष भरी थपकी अपनी पीठ पर आज भी महसूस करता हूँ... वे मेरे लिये कभी स्वर्गीय नहीं होंगे।

वीरेश कात्यायन -

युवा कवियों की हौसला अफ़ज़ाई उन्हें प्रिय थी। मेरा सौभाग्य कि मैं सदैव उनका स्नेहपात्र बना रहा। वे शुद्ध, निर्मल एवं सुसंस्कृत कवि थे।

नक्श इलाहाबादी -

एक नशिस्त के ज़रिये उनके क़रीब पहुँचने का मौक़ा मिला। उनके साथ बैठ कर अदबी गुफ्तगू का मज़ा ही कुछ और था। भाई राजेन्द्र तिवारी, अखिलेश तिवारी के साथ अक्सर मैंने ये सुख उठाया। उनकी शायरी हमेशा ज़िन्दा रहेगी।

डॉ. प्रतीक मिश्र -

ऊर्जा, संकल्प, जिजीविषा और लक्ष्य तक पहुँच कर ही दम लेने का नाम थे डॉ. प्रतीक मिश्र। साहित्य के साथ-साथ सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा कला-पत्रकारिता, हर क्षेत्र में लोकप्रियता अर्जित की थी उन्होंने। मेरी खुशक़िस्मती कि मैं उनके स्नेह की छाया में रहा। उनकी यश काया को प्रणाम!

विश्वनाथ पाण्डेय ‘बेखटक मिर्जापुरी’-

गोरखपुर प्रवास के दौरान ‘अमृत कलश’ संस्था के माध्यम से परिचय हुआ और तब से लेकर मृत्युपर्यन्त न जाने क्यों इस नाचीज़ को अतिरिक्त स्नेह देते रहे। वे सदा मेरी स्मृतियों में रहेंगे।

 

- सत्य प्रकाश शर्मा


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