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रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

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5 पाठक हैं

‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह


5

सज़ा नई कोई ईजाद करने वाले हैं


सज़ा नई कोई ईजाद करने वाले हैं
भुलाने वाले हमें याद करने वाले हैं

हमारे दिल में न होंगी तो फिर कहाँ होंगी
उदासियों को हम आबाद करने वाले हैं

वफ़ा के नाम पे तुम जान देने लगते हो
तुम्हारे शौक़ तो बर्बाद करने वाले हैं

हमें पता है कि नश्तर तुम्हारे बहरे हैं
ये ज़ख़्म भी कहाँ फ़रियाद करने वाले हैं

ख़बर लगी जो मुसीबत की घर से दौड़ पड़े
ये अश्क दर्द की इमदाद करने वाले हैं

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