लोगों की राय

नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है

रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह


70

अपना वजूद रूह पे क़ुर्बान कर के देख


अपना वजूद रूह पे क़ुर्बान कर के देख
तू अपने आप पर कभी एहसान करके देख

तू ख़्वाहिशों से जंग का ऐलान कर के देख
नुकसान की न सोच, ये नुकसान कर के देख

दुनिया है इक तऱफ, तेरे एहसास इक तऱफ
तू किसमें खुश रहेगा, ज़रा ध्यान कर के देख

औरों को दिल दुखाने की ज़हमत कभी न दे
खुद ज़ख्म छेड़, दर्द को हैरान कर के देख

कुछ तेरी हैसियत में चमक और आएगी
कुछ तेरी हैसियत नहीं, ये मान कर के देख

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book