लोगों की राय
नई पुस्तकें >>
रौशनी महकती है
रौशनी महकती है
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 15468
|
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3 |
|
0
5 पाठक हैं
|
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
52
खुलूस, प्यार, वफ़ा नेक ख़्वाहिशें लेकर
खुलूस, प्यार, वफ़ा नेक ख़्वाहिशें लेकर
मिलोगे किससे ये बीमार चाहतें लेकर
हमारा दिल तो फ़क़त रंज-ओ-ग़म की बस्ती है
यहाँ न आये कोई मुस्कुराहटें लेकर
तुम अपने साथ न ऐसा कोई सबब रखना
तुम्हारा ज़िक्र हो माथे प’ सल्वटें लेकर
हमारे साथ कभी तुम नहीं चले फिर भी
तमाम बातें निकलने लगीं तुम्हें लेकर
तमाशबीन भी शरमा गये नज़ारे से
अजीब ढंग से आये वो राहतें लेकर
0 0 0
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
रौशनी महकती है
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai