नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
14
न रौशनी, न इशारा, न राहबर कोई
न रौशनी, न इशारा, न राहबर कोई
किस ऐतबार पे करता रहे सफ़र कोई
जो खुद को ढूंढने उतरे तो खुद ही ग़ायब थे
मज़े की बात हमें भी न थी ख़बर कोई
जब उसके सामने पहुँचे तो इतने नादिम थे
छुपा न ऐब, न ज़ाहिर हुआ हुनर कोई
शबे-फ़िराक़ के नश्तर भी साथ आऐंगे
ख़याल रख के इसे लाए अपने घर कोई
गिले भी याद नहीं ज़ख़्म भी हरे कम हैं
मिलेगा क्या उसे, आया अगर इधर कोई
0 0 0
|