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			 नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
 
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एहसास में हो ‘मीर’, ज़बाँ में ‘असद’ रहे
 एहसास में हो ‘मीर’, ज़बाँ में ‘असद’ रहे
 ऐसा भी कुछ कहो कि जहाँ में सनद रहे
 
 सर ही नहीं झुकाना तो डरने की बात क्या
 चेहरा हो चाहे जैसा भी कैसा भी क़द रहे
 
 कोई सबब तो हो कि तुम्हें याद रख सकें,
 दिल टूटने में कुछ तो तुम्हारी मदद रहे
 
 इल्जाम कोई हम से नकारा नहीं गया,
 जिस जुर्म में शरीक रहे नामज़द रहे
 
 ये ज़िन्दगी की जंग लड़ूँगा मैं शान से,
 लेकिन है शर्त साथ ग़मों की रसद रहे
  
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