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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :9781613016817

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

समय की कीमत

फ्रेंकलिन अपनी पुस्तकों की दुकान पर बैठे कुछ आवश्यक कार्य कर रहे थे। उसी समय एक व्यक्ति आया और कुछ देर पुस्तकों को देखता रहा। अन्त में बहुत छानबीन करने के बाद उसने एक पुस्तक पसन्द की और काउण्टर पर बैठे कर्मचारी से उसका मूल्य पूछा तो कर्मचारी ने उसका मूल्य एक डालर बताया।

ग्राहक ने मूल्य कुछ कम करने का बहुत आग्रह किया किन्तु दुकानदार तैयार नहीं हुआ तो उसने काउंटर वाले से पूछा, "क्या श्रीमान् फ्रेंकलिन इस समय दुकान पर हैं?"

"जी हाँ, हैं तो सही, किन्तु इस समय अन्दर किसी आवश्यक कार्य में संलग्न हैं।

ग्राहक ने कहा, "जरा उन्हें बाहर बुला दीजिए।"

कर्मचारी गया और फ्रेंकलिन को बाहर बुला लाया। उनके आते ही ग्राहक ने उनसे कहा, "फ्रेंकलिन साहब! कृपया इस पुस्तक का मूल्य तो बताइये।"

"सवा डालर!" फ्रेंकलिन ने सपाट उत्तर दिया।

ग्राहक तुनक गया। कुछ रुष्ट-सा होता हुआ बोला, "क्या खूब! अभी तो आपके कर्मचारी ने इसका मूल्य एक डालर बताया था और आप अब सवा डालर बता रहे हैं?"

फ्रेंकलिन बोले, "इसका मूल्य तो एक डालर ही है, किन्तु आपने मुझे बुला कर मेरा समय नष्ट किया है, अतः अब इसका मूल्य सवा डालर हो गया है।"

ग्राहक परेशानी अनुभव कर रहा था। फिर भी बोला, "अच्छा बताइये, अब इसका वास्तविक मूल्य क्या है? मैं क्या दूँ?"

फ्रेंकलिन ने शान्त भाव से कहा, "डेढ़ डालर।"

ग्राहक आश्चर्यचकित-सा फिर पूछने लगा, "यह आप क्या कह रहे हैं, अभी तो आपने इसका मूल्य सवा डालर कहा था और अब डेढ़ डालर कह रहे हैं?"

"देखिये श्रीमान् ! मेरे लिए समय का मूल्य बहुत अधिक है क्योंकि मैं उसका मूल्य जानता हूँ और आप मेरा जितना समय नष्ट करते जाएँगे, पुस्तक का मूल्य उतना ही बढ़ता जाएगा। इस बात पर विचार कर लीजिए।"

यह सुनकर ग्राहक बहुत लज्जित हुआ। उसको पुस्तक की आवश्यकता थी, वह यह भी जानता था कि किसी अन्य विक्रेता के पास वह पुस्तक मिलेगी नहीं, अतः उसने डेढ़ डालर उसका मूल्य चुकाया और पुस्तक लेकर चलता बना।

समय का मूल्य बहुत कम लोग आँकते हैं। जो आँकते हैं वे जीवन में सफल रहते हैं और जो व्यर्थ समय नष्ट करते हैं, समझिए कि वे अपना जीवन भी व्यर्थ में ही नष्ट कर रहे हैं।  

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