नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
जिस बात से तुम्हारा कोई सम्बन्ध नहीं उसमें दखल न दो।
- नैतिक सूत्र
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दया से लबालब भरा हुआ दिल ही बड़ी दौलत है; क्योंकि दुनियावी दौलत तो नीच आदमियों के पास भी देखी जाती है।
- तिरुवल्लुवर
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दया पात्र होने से ईर्ष्यापात्र होना अच्छा।
- एक कहावत
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दया वह भाषा है जिसे बहरे सुन सकते हैं और गूंगे समझ सकते हैं।
- अज्ञात
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भारी तलवार कोमल रेशम को नहीं काट सकती; दयालुता और मीठे शब्दों से हाथी को जहाँ चाहे ले जाओ।
- सादी
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दयाल चेहरा सदा सुन्दर है।
- बेली
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हर एक के लिये मृदुल और दयालु बनो; लेकिन अपने लिये कठोर।
- डॉ. विश्वकर्मा
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दयालुता चरित्र को सुन्दर बनाती है। बढ़ती हुई उम्र के साथ वह चेहरे को भी सुन्दर बनाती जाती है।
- जेम्स ऐलन
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धीमे चलो और दूर तक देखो।
- डच कहावत
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आँखें सबने पायी हैं, नजर किसी-किसी ने।
- मैकिया वैली
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मूर्ख एक ही तरफ देखता है, ज्ञानी हर तरफ।
- समर्थ गुरु रामदास
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दरिद्रता मानों दुःखों की टकसाल ही है।
- अज्ञात
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दरिद्रता आलस्य का पुरस्कार है।
- डच कहावत
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दुनिया में दरिद्रता के बराबर कोई दुःख नहीं है।
- रामचरित मानस
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सारा दर्शनशास्त्र दो शब्दों में-संयम और सेवा।
- एपिक्टेटस
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हम दूसरों के आर-पार देखना चाहते हैं, परन्तु खुद अपने आर-पार देखा जाना पसंद नहीं करते।
- ला रोशे
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चार तरह के आदमी होते हैं-(१) मक्खीचूस : जो न आप खायें न दूसरों को खाने दें; (२) कंजूस : जो आप तो खायें, पर दूसरों को न खाने दें; (३) उदार : जो आप भी खायें और दूसरों को भी खाने दें; (४) दाता : जो आप न खायें और दूसरों को खाने दें। सब लोग अगर दाता नहीं बन सकते तो उदार तो जरूर बन सकते हैं।
- अफलातून
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सौ में एक सूरवीर, हजार में एक पण्डित, दस हजार में एक वक्ता होता है। परन्तु दाता लाख में कोई हो और न भी हो।
- अज्ञात
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सूर्य जैसे जल को खींचता और बरसाता है, उसी तरह हमें द्रव्य लेना और देना चाहिए।
- भागवत
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दानी के चरित्र का पता दान की अपेक्षा दान देने के तरीके से अधिक लगता है।
- लैवेटर
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ज्ञानी संचय नहीं करता। वह ज्यों-ज्यों देता जाता है, त्यों-त्यों पाता जाता है।
- लाओत्जे
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इस दुनिया का अंकगणित कहता है : 'देगा तो दिवाला निकल जायगा।' उस दुनिया का अंकगणित कहता है : 'देगा तो भण्डार भर जायगा'।
- अज्ञात
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खुदा कहता है कि तुम खैरात करो, मैं तुमको और दूंगा।
- हज़रत मुहम्मद
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दान से दुश्मनी का भी नाश हो जाता है।
- मनुस्मृति
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