| नई पुस्तकें >> सूक्ति प्रकाश सूक्ति प्रकाशडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
 | 
			 5 पाठक हैं | |||||||||
1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह
आखिरकार जाति सिर्फ एक है-मानवजाति। 
-जॉर्ज मूर 
¤ 
गाँधी के शिक्षण का निचोड़ मैंने तीन शब्दों में पाया है : (१) 'सत्य'-जीवन का लक्ष्य, (२) 'संयम'-जीवन की पद्धति, (३) 'सेवा'-जीवन का कार्य। 
-विनोबा 
¤
जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है, जहाँ घृणा है वहाँ विनाश है।     
- गाँधी 
¤ 
जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्रा देने पर भी नहीं मिल सकता।
- चाणक्य नीति 
¤ 
जो अच्छा या बुरा छूकर, खाकर, सूंघकर, देखकर, सुनकर, न तो खुश होता है न नाखुश, उसको जितेन्द्रिय पुरुष जानना। 
- मनु 
¤ 
दुनिया में इस तरह रहे-आँखों से देखे, कानों से सुने, मगर मुँह से कुछ न कहे। 
- गोरखनाथ 
¤ 
'लटके' रहकर जीना दुःखदायी वस्तु है, वह तो मकड़ी की जिंदगी है।     
- स्विफ्ट 
¤ 
ऐ जिंदगी, दुःखी के लिये तू एक युग है, सुखी के लिये एक क्षण। 
- बेकन 
¤
सबसे उत्तम जिहाद वह है जो आत्म-विजय के लिये किया जाय। 
- मुहम्मद 
¤ 
संसार का मित्र होने का सूत्र जिह्वा में है। 
- डॉ. विश्वकर्मा 
¤ 
जो जीवन का लोभ छोड़कर जीता है, वही जीता है। 
- गाँधी 
¤ 
उन्हीं का जीवन सफल है जो खुद तंग हाल होते हुए भी दूसरों की जरूरतों को पहले पूरा करने की कोशिश करते हैं। 
- कुरान 
¤ 
खद मर कर औरों को जीवित रहने देने की तैयारी में ही मनुष्य की विशेषता है। 
- गांधी 
¤ 
जीवन को वही समझता है जो प्रेम करता है और दान करता है। 
- स्टीफ़न ज्विग 
¤
निश्चय करने वाला दिल, योजना बनाने वाला मन और अमल करने वाला हाथ। 
- गिवन 
¤ 
अपना जीवन लेने के लिये नहीं, देने के लिये है। 
- विवेकानन्द 
¤ 
जिस तरह, जबसे दुनिया शुरू हुई है कोई सच्चा काम कभी फिजूल नहीं गया, उसी तरह, कोई सच्चा जीवन कभी असफल नहीं हुआ। 
- इमर्सन 
¤ 
जीवन का अधिकांशतः भाग-बुलबुला है; दो चीजें पत्थर के समान खड़ी हैं दूसरे के दुःख में दया और अपने दुःख में हिम्मत। 
- अज्ञात 
¤ 
भूलों के साथ संग्राम करना ही जीवन है। 
- गाँधी 
¤ 
कर्म का ही दूसरा नाम जीवन है; निकम्मे का अस्तित्व है, पर वह जीवित नहीं।  
- हिलर्ड 
¤
पवित्र जीवन एक आवाज है; वह तब बोलती है जब जबान खामोश होती है। 
- अज्ञात 
¤
पहले ईश्वर को प्राप्त करो और तब धन प्राप्त करो; इससे उल्टा करने की कोशिश न करो। अगर आध्यात्मिकता प्राप्त करने के बाद, तुम सांसारिक जीवन बसर करोगे, तो तुम मन की शान्ति को कभी नहीं खोओगे। 
- रामकृष्ण परमहंस 
¤
प्राचीन काल के सुप्रसिद्ध महापुरुषों के जीवन से अपरिचित रहना अपनी जिन्दगी को बचपन की स्थिति में गुजारना है। 
- प्लुटार्क 
¤
जीवित कौन? जो सत्य के लिये हर वक्त मरने को तैयार है। 
- स्वामी रामतीर्थ 
¤
			
| 
 | |||||

 
 
		 





 
 
		 



 
			 
