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समय 25 से 52 का

दीपक मालवीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15416
आईएसबीएन :978-1-61301-664-0

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20

मुखपृष्ठ विषय

पुस्तक है ‘समय 25 से 52’ की उम्र का, परन्तु जो लोग 25 वर्ष से कम तथा 52 वर्ष से अधिक हैं वो इसे क्यों पढ़ें।

दोस्तों ! अपने जीवन का 25वाँ पड़ाव वो समय होता है जब हममें  -भविष्य में मिलने वाली अपार सफलता का विशाल वृक्ष का बीज तैयार हो रहा होता है। हमारे मन में धीरे-धीरे मंजिल को पाने का अंकुर पनप रहा होता है। अब सवाल ये है कि इस उम्र (25) में पहले इस अंकुरण की, इस बीज की तैयारियाँ कैसे करें। माना कि बीज से ही बड़ा वृक्ष बनता है। पर उस उचित बीज की पुख्ता तैयारी भी तो जरूरी है जो हमारी समृद्धियों के वृक्ष के लिये उपयुक्त रहे। अगर हम प्रकृति में पाए जाने वाले किसी भी पौधे के बीज को सूक्ष्मदर्शी से देखें तो वो भी हमें बहुत बड़ा दिखाई देगा।

तो दोस्तों ! इस उम्र से पहले आप अपने भविष्य की तैयारियों, आगे के लक्ष्य को ऐसे ही सूक्ष्मदर्शी से देखें ताकि आपको इसकी महत्वपूर्णता बहुत बड़े रूप में नजर आएगी। हमारे सुनहरे भविष्य में ये कितना मायने रखती है, इसका आपको अंदाजा हो जाएगा कि सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्तर पर हमें किस तरह मेहनत करनी है और कैसे अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण करना है। इस उम्र में अधिकांशतः लोग बैचलर डिग्री ले रहे होते हैं या उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे होते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अभी से कंधों पर जिम्मेदारियों का ज्यादा भार लिये घूमते हैं और इसी के चलते कुछ अतिरिक्त कार्य या घरेलू-सा धंधा प्रारंभ कर देते हैं। इन दोनों तरह के युवाओं को मैं सलाह देना चाहूँगा कि किसी भी डिग्री का चुनाव करने से पहले, कालेज या यूनिवर्सिटी में दाखिले से पहले आप आईने के सामने ये सुनिश्चित कर लें कि मैं ये जो कदम उठाने जा रहा हूँ उसे कभी वापस नहीं लूँगा क्योंकि कुछ फैसले जीवन में एक बार लेने पड़ते हैं उन्हें बार-बार नहीं लिया जाता ना ही जिन्दगी के कुछ कीमती साल मैं बर्बाद करना चाहता हूँ।

बस यही सोच कर आपको जीवन का अगला कदम बढ़ाना है 25 की उम्र में आते-आते अपने निश्चय को, सफल करने में लग जाना है।

आप यदि एक ग्रहस्थ महिला हैं तो पहली प्राथमिकता तो आपकी है ही कि आप सर्वगुण तरीके से ग्रहस्थी की कमान चलाएं। इसके बाद आपकी ठीक दूसरी प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि मुझे कुछ और भी करना है - मेरे और मेरे परिवार के सुनहरे भविष्य के लिये, मेरी पुरानी प्रतिभा के लिये, विवाह से पूर्व जो सपने देखे थे उसके लिये। वो चाहे कुछ भी हो सकता है जैसे मनपसंद पढ़ाई करना, घरेलू कला का उत्पादन करना, डांसिंग-म्यूजिक-ब्यूटिशियन बनना इत्यादि।

यहाँ पर आपको समय का बहाना नहीं देना है कि पहली जिम्मेदारी निभाने में ही समय नहीं मिलता है तो अपने सपनों का मुँह कब देखेंगे भला। चाहे तो उन महिलाओं का मुँह देख लो जो घर का काम करते-करते I.A.S. बनी हैं, बच्चों को पालते-पालते I.P.S. का पद प्राप्त किया है जिन्होंने। अपने ही देश में कई महिलाओं ने सुपरिन्टेडेंट का पद पाया है ससुराल में जिम्मेदारियों के चलते। समय तो सबको एक जैसा 24 घन्टे ही मिलते हैं समय मिलता नहीं निकालना पड़ता है, रास्ता मिलता नहीं बनाना पड़ता है। आपको चाहिए कि आपकी दिनचर्या सुव्यवस्थित तरीके से समुचित हो। अपने आप को लेकर जब तक आप कुछ कड़े नियम नहीं बनाओगे अनुशासन को आचरण में नहीं लाओगे तब तक समय निकाल पाना मुश्किल है - और रास्ता निकाल पाना भी मुश्किल है। अगर आपके सपने वही हैं और दिनचर्या में कोई फर्क नहीं पड़ा तो आपके सपने भी ससुराल के आटे-दाल में कहीं खो जाएंगे और चार दीवारों का किचन ही आपकी मंजिल बन के रह जाएगा सदा के लिए। आपको कोई ग्रहस्थी थोड़े छोड़ना है बस उसमें से एक उचित समय निकालना है मानवता के खातिर जो हम हमारी मंजिल के लिये करते हैं। थोड़ा समय निकालना है ताकि मानव रूप का दूसरा लक्ष्य भी सार्थक हो सके। यदि आपने अपने सपनों के प्रति सशक्त होके वास्तविक रूप से कठोर निर्णय ले ही लिया है तो समय निकालना ही पड़ेगा आपको - कुछ समय ‘ श्रृंगार सेल्फी से निकाल कर, कुछ समय आटे-दाल से निकाल कर, कुछ समय अपनी नींद से निकाल कर, कुछ समय सजन की प्रीत से निकाल कर लगाना है आपको अपनी मंजिल का रास्ता बनाने में।’ शहरों के साथ-साथ गाँवों में भी आजकल हर नवविवाहित महिला पढ़ी-लिखी होती है। वो न कोई दूसरा काम तो - अपनी आगे की पढ़ाई तो पूरी कर ही सकती है। जो कभी न कभी शायद अनजाने में ही उनका भविष्य बना सकती है। या ये ही पढ़ाई आगे कोई शासकीय नौकरी में काम आ सकती है। या अपने पुराने हुनर को फिर से जिन्दा कर सकती है चाहे वो मेंहदी, सिलाई-कढ़ाई-बुनाई, नृत्य-संगीत इत्यादि कुछ भी हो।

वैसे भी आज की भारतीय नारी कहीं भी पीछे नहीं है, न अपने देश में, न विदेश में। यही तर्क आपको भी देना है उनको जो आपको ऐसा करने से रोकेंगे, ग्रहस्थ जीवन में। आपको स्वयं ये हक है कि आप पूरी नैतिकता से, उचित ढंग से अपने सपनों को पूरा करें। इसमें कुछ भी गलत नहीं है न ही सामाजिक रूप से अनैतिक है। गलत राह चुनना, गलत दिशा में जाना अनैतिक है और यही सबसे घातक भी है। परन्तु अपनी मंजिल के लिये मेहनत करना बिल्कुल भी गलत नहीं है।

इसलिए समय को व्यर्थ मत गंवाओ, अपली कला का गला मत घोंटो - आप अपनी आदिशक्ति की शक्ति को पहचानो और इसे पूरी की पूरी अनजाने में मत गंवाओ।

आज के समय में मानो आपके पास नौकरी, पैसा, समृद्धि सब कुछ है भी तो भी आपको मंजिल के रास्तों पर चलना नहीं छोड़ना है। क्योंकि हो सकता है इस शीर्ष से भी शीर्ष पद आपका इंतजार कर रहा हो शायद आपका। या आप अपने अन्दर कोई नई काबिलियत भी खोज सकते हैं कोई नया मुकाम पाने के लिये, चॅूकि इस उम्र में आपको कई अनुभव प्राप्त हो चुके होंगे इसलिए आज आप संपन्नशील व्यक्ति हो तो मैं विवेकपूर्ण तर्क ही देना चाहूँगा कि इतनी बड़ी जिन्दगी रुकने के लिये नहीं होती है, रुक जाना ही मरने के समान है। इसी पुस्तक के 9वें अध्याय में भी मैंने उल्लेख किया है कि ‘ सोचना कभी बन्द न करें’। आप अपनी तरक्की की गाड़ी का इंजन यदि बंद कर दोगे तो ये तुरन्त ही मर के बन्द हो जाएगी। और ये नैतिकता भी नहीं होगी अपने बाकी के उभरते हुए हुनर के लिये। नये-नये मिले अनुभव के साथ हम अपने व्यक्तित्व को ही धोखा दे बैठेंगे, अगर इतना अनुभव होने के बाद हमने आगे कुछ नहीं किया तो...।

अगर आपको वर्तमान पद को निभाते-निभाते शारीरिक या मानसिक  दिक्कत नहीं हो रही है फिर तो आपको आगे का उच्चतम रास्ता बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए। हर समय शीर्ष से शीर्ष तक आपको बढ़ना है जब तक वृद्धावस्था में पैर जवाब न देने लग जाएं।

अगर आपको वर्तमान पद को निभाने में मानसिक या शारीरिक क्षति पहुँचती भी है तो तुरंत ही आपको नया मुकाम देखकर आगे बढ़ जाना है चूँकि इस किताब के आगे के सब अध्याय संघर्ष करने वाले युवाओं के लिये लिखे हैं जिनके पास अभी मेहनत और उम्मीद के सिवा कुछ भी नहीं है परन्तु आपके साथ ऐसा कुछ नहीं है। सर्वप्रथम तो आपके पास उस उम्र से गुजरने के कारण उस संघर्ष का अनुभव, फिर आपने जो कई जगहों पर कार्य किया उसका अनुभव, वर्तमान पद का अनुभव। इतनी जगहों की उपलब्धियाँ जो आपके आत्मविश्वास को भी प्रखर कर देती हैं, पर्याप्त मात्रा में धन-संसाधन से आपको सर्वदा सम्पन्न बनाती है तथा मनोबल को और प्रबल बनाती है। इतनी उपलब्धियों के साथ तो आपको और बड़े पद के लिये प्रार्थी होना चाहिए या जिसने इतनी उपलब्धि अपने छोटे व्यापार में पाई है उसे इसी पुराने अनुभव के चलते कोई बड़ा निवेश जरूर करना चाहिए। अपने उद्योग को और विस्तृत रूप प्रदान करने के लिये।

आपको हर महीने नयी-नयी योजना बनाना चाहिए अपने अच्छे भविष्य को और उज्जवल बनाने के लिए - इसी बात का उदाहरण इस दुनिया में और इस किताब में भी भरे पड़े हैं। हर क्षेत्र में ‘ व्यापार में, शिक्षा में, कला में-साहित्य में, विज्ञान में, खेल में, राजनीति में इत्यादि।

अन्त में इस अध्याय को इस तर्क से विराम देना चाहूँगा कि हमें जिन्दगी में कभी सोचना बन्द नहीं करना चाहिए और अपनी प्राप्त उपलब्धियों के बलबूते पर प्रगति के पिरामिड को और ऊँचा बनाते रहना चाहिए। जिस भी क्षेत्र का जो भी व्यक्ति आपके आदर्श रहे होंगे या जिनकी आप प्रशंसा करते होंगे उनके आज के पीछे ठीक वैसा ही कल रहा होगा जैसा इस अध्याय में बताया है। अर्थात वो भी अपनी हर एक उपलब्धि की सीढ़ी बना के निरंतर शिखर पर पहुँचते रहते हैं।

- इंजी. दीपक मालवीय

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