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चेतना के सप्त स्वर

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15414
आईएसबीएन :978-1-61301-678-7

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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ

आज रात नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मिले थे


भाइयो! आज रात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मिले थे।
भारत के हर कोने में तिरंगा नहीं फहराया जाता।
वन्दे मातरम् श्रद्धा से नहीं गाया जाता।
हमारे रक्त सिंचित देश का भूगोल बदल गया है।
अपनी भारत माँ कष्ट में है, अब बोल बदल गया है।
माँ कहती है जिनको अपने वक्ष का दूध पिलाया था।
अपना वात्सल्य देकर आँचल में सुलाया था।
बाँह पकड़ कर चलना सिखाया था।
चन्दा के लिए प्यार से मचलना सिखाया था।
आज वही बेटा मेरे वक्ष का रक्त बहा रहा है।
मेरे लहू से प्रतिदिन नहा रहा है।।

क्या इसीलिए मेरी बगिया में बलिदानी पुष्प खिले थे?
भाइयों! आज रात नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मिले थे।...१

मेरे भोले शंकर का कैलाश कहाँ है?
केसर की क्यारी का आवास कहाँ है?
प्यारे जवाहर के कोट की कलियाँ कहाँ है?
भूल जाइये घाटी में आज बन्दूकों की नलियां वहाँ है
कश्मीर भूमण्डल का स्वर्ग कहाँ है?
हमारे भारत के पल-२ की धड़कन कहाँ है?
भारत के हृदय में ए-के छप्पन वहाँ है।
घाटी के फूलों की सुगन्ध नहीं आती है।
नित्य-नित्य हत्याओं की गंध वहां आती है।
भूमण्डल का स्वर्ग बदल गया है।
देवियों का रूप वहां गल गया है।
क्या इसीलिए आजादी के दीवानों के गले में,
फांसी के फंदे हिले थे।
भाइयों! आज रात...२

मान सरोवर झील कहाँ है राजहंसो की?
वह वीरता कहाँ है वीर बंसों की?
खैर बटवारा किया था मुझे संतोष था।
भारत का हृदय भारत में रहे होश था।
आज झीलम की धारा रक्त भरी है ।
फूलों की घाटी दुर्गन्ध भरी है
हर रोज कश्मीर में यामिनियाँ नाँचती हैं।  
बच्चों की किलकारी को मौत बाँटती हैं।।
क्या इसी लिए देश की आजादी हेतु
वीर बलिदानों के सिलसिले थे?
भाइयों! आज रात...3

कश्मीर में तिरंगे का फाड़ना।
बटवारे के घावों को बार-२ उघाड़ना।
भारत माँ को डायन कह के ललकारना।
वन्दे मातरम् पर आपत्ति बलकाराना।
क्या-क्या कहूँ बच्चों भुजा फड़कारती है।
भारत में तुरन्त आओ माँ पुकारती है।
आता हूँ मैं दूध का कर्ज शेष है।
आँचल को उघाड़ता बदलता जो भेष है।
प्यारे बच्चों आ जाओ साथ में,
वन्दे मातरम् रक्त से लिख लो माथ में।
आँखे लाल थीं, हर अंग हिले थे।
भाइयो! आज रात... ४

आओ मेरे बच्चों गद्दारों को चीरने,
देख ले संसार क्या किया वीर ने।
गद्दार आये सामने प्राणों की भीख ले,
कश्मीर की तरफ देखना सदा को छोड़ दे।
सिंह दहाड़ते है आज मुँख मोड़ दे।
ऐसा न किया तो लाहौर हमारा है।
पहले भी प्यारा था आज भी प्यारा है।
जमीं पर पाक की तिरंगा लहरायेगा।
वीर बच्चों की गाथा यह विश्व गायेगा।।
ऐसा कहते हुए वह मेरे गले मिले थे।
भाइयो! आज रात... ५

बँटवारा नहीं किया था मैंने, अधिकार लिया है।
नक्शा वह मेरा देख ले मैंने क्या किया है।
माँ का मैंने दूध पिया है माँ का प्यार मिला है।
कर्तव्य करके आज मेरा दिल खिला है।
हिम्मत नही गद्दार की सूरज के सामने।
क्या चूहा भी चलेगा सिंह का दामन थामने।
होगा 'प्रकाश' भारत का विश्व के लिए।
भारत ही सूर्य है बाकी सभी हैं दिए।
क्या कभी सूरज के पाँव भी हिले थे?
भाइयों! आज रात नेता जी सुभाष चन्द बोस मिले थे।।...६

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