नई पुस्तकें >> हमारे पूज्य देवी-देवता हमारे पूज्य देवी-देवतास्वामी अवधेशानन्द गिरि
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’देवता’ का अर्थ दिव्य गुणों से संपन्न महान व्यक्तित्वों से है। जो सदा, बिना किसी अपेक्षा के सभी को देता है, उसे भी ’देवता’ कहा जाता है...
चंद्र-पुत्र बुध
बुद्ध चंद्रदेव के पुत्र हैं। चंद्रमा की सत्ताईस पत्नियों में से ये रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं। 'अथर्ववेद' के अनुसार बुध सभी शास्त्रों में पारंगत और अपने पिता चंद्रदेव के समान कांतिमान हैं। इनकी गंभीर बुद्धि देखकर ब्रह्मा जी ने इनका नाम बुध रखा और इन्हें ग्रह बना दिया। 'महाभारत' में वर्णित कथा के अनुसार बुध की विद्या और बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने अपनी गुणवती पुत्री इला का इनके साथ विवाह कर दिया। बुध और इला के संयोग से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। वह बड़ा धर्मात्मा था। उसने सौ से भी अधिक अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान किया। बाद में वह महाराज पुरुरवा के नाम से विख्यात हुआ। महाराज पुरुरवा से ही चंद्रवंश का विस्तार हुआ।
'मत्स्य पुराण' के अनुसार बुध का रंग कनेर के पुष्प की तरह पीला है। ये सिर पर सोने का मुकुट, गले में पीले रंग की पुष्प माला और शरीर पर पीले वस्त्र धारण करते हैं। इनके हाथों में तलवार, ढाल, गदा और वरमुद्रा सुशोभित हैं। इनका वाहन सिंह है। बुध का रथ श्वेत और प्रकाश से दीप्त है। उसमें वायु वेग के समान तेज चलने वाले घोड़े जुते हुए हैं। बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। ये शरद ऋतु एवं सुगंधित तेल, हाथी दांत, खांड़, मूंग की दाल, कांस्य धातु, पन्ना, क्रीड़ा भूमि तथा मिश्रित रस के अधिष्ठाता माने गए हैं। इनकी महादशा 17 वर्ष की होती है।
बुध की स्थिति शुक्र से दो लाख योजन ऊपर है और सूर्य से 3,70,00,000 मील दूर है। सूर्य के अधिक समीप होने के कारण ये अधिक प्रकाशवान हैं। इनका तापमान 350 डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है। बुध का व्यास 3,000 मील है। इनकी गति 30 मील प्रति सेकंड है। ये सूर्य की परिक्रमा 88 दिन में करते हैं। जब ये सूर्य की गति का उल्लंघन करते हैं तो आंधी, पानी और सूखे की सूचना देते हैं। वैज्ञानिक बुध ग्रह पर कोई वायुमंडल नहीं मानते।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र-पुत्र बुध सौरमंडल के युवराज हैं। इन्हें वाणी का प्रतिनिधित्व करने वाला और बुद्धि, आरोग्यता, पुनर्जीवन, कायाकल्प आदि का प्रदाता माना गया है। बुध कूटनीतिज्ञ, तार्किक एवं महान प्रतिभा के द्योतक हैं। ये विज्ञान, पांडित्य, ज्योतिष, शिक्षण, चिकित्सा, व्यापार, प्रकाशन, संपादन, लेखन एवं मित्रता आदि के प्रतिनिधि हैं। वे अध्यापक, लेखक, संपादक, खिलाड़ी, अभिनेता, एकाउंटेंट, इंजीनियर, शिल्पकार, मूर्तिकार, डाकतार विभाग या बीमा कार्य करने वालों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बुध ग्रह का प्रभाव 32-35 वर्ष की अवस्था में होता है। इनकी शांति के लिए प्रत्येक अमावस्या को व्रत रखना चाहिए और पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। नवग्रह मंडल में बुध की पूजा ईशान कोण में की जाती है। इनका प्रतीक बाण तथा रंग हरा है। ब्राह्मण को हरा वस्त्र, मुंग, हरी सब्जियां, षडरस भोजन, घी तथा फल आदि दान करने चाहिए। बुध द्वारा संतानोत्पत्ति में बाधक होने पर विधिपूर्वक दुर्गा का संपुट पाठ करना चाहिए। बुध का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिए पन्ना रत्न धारण करना विशेष लाभकारी है।
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