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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

अध्याय 2

वर्ण-विचार


भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। इस ध्वनि को वर्ण कहते हैं। वर्ण शब्द का प्रयोग ध्वनि और ध्वनिचिह्न (लिपि चिह्न) दोनों के लिए होता है। इस प्रकार ये वर्ण भाषा के मौखिक तथा लिखित दोनों रूपों के प्रतीक हैं। इस दृष्टि से शुद्ध उच्चारण के साथ-साथ सही लेखन के लिए वर्णों का महत्व है।

वर्णमाला : वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।

मानक देवनागरी वर्णमाला

स्वर        : अ आ इ ई उ ऊ (ऋ) ए ऐ ओ औ
(मात्राएँ)   : ा ि ी ु ू ृ े ै ो ौ
अनुस्वार : ं अं
विसर्ग     : ः अः
व्यंजन    : क, ख, ग, घ, ङ
                च, छ, ज, झ, ञ
                ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़
                त, थ, द, ध, न
                प, फ, ब, भ, म
                य, र, ल, व
                श, ष, स, ह
गृहीत     : ऑ, ज़, फ़

संयुक्त व्यंजन    : क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

हल् चिह्न    : सभी व्यंजन वर्णों के लिपि चिह्नों में ‘अ’ स्वर रहता है, जैसे क = क् + अ। जब स्वर रहित     व्यंजन का प्रयोग करना हो तो उसके नीचे हल् चिह्न लगाया जाता है।

स्वर        : जिन ध्वनियों के उच्चारण के समय हवा बिना किसी रुकावट के निकली हैं, वे स्वर कहलाते हैं, जैसे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, (ऑ)।

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