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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
संज्ञा शब्दों की रूप रचना
निम्नलिखित वाक्यों को देखिए:
लड़का आ रहा है। (लड़का
मूल शब्द है)
दो लड़का आ रहा है। (अशुद्ध वाक्य)
दो लड़के आ रहे हैं। (शुद्ध वाक्य) लड़का
का बहुवचन रूप
उस लड़का ने रोटी खाई। (अशुद्ध वाक्य)
उस लड़के ने रोटी खाई। (शुद्ध वाक्य) लड़का का
परसर्ग के साथ आने वाला रूप
इसी प्रकार आगे देखें:
नदी बह रही है। (नदी मूल शब्द
है।)
प्रयाग में तीन नदी मिलती है। (अशुद्ध)
प्रयाग में तीन नदियाँ मिलती हैं। (शुद्ध वाक्य)
इस प्रकार आपने देखा कि वाक्य में संज्ञा शब्द कभी-कभी अपने मूल रूप में आता
है, (जैसे — लड़का) और कभी अपने परिवर्तित रूप में (जैसे — लड़के। लड़कों)।
ये परिवर्तन रूप-रचना के नियमों के अंतर्गत होत हैं। रूप-रचना में यह बताया
जाता है कि कहाँ शब्द अपने मूल रूप में आता है और कहाँ परिवर्तित रूप में; और
जहाँ परिवर्तन होता है वहाँ यह परिवर्तन कैसे होता है। रूप रचना के नियमों से
प्राप्त शब्द के मूल और परिवर्तित रूपों को प्रायः सारणी (टेबिल) द्वारा
दिखाया जाता है और इस सारणी को हम रूपावली कहते हैं। हिंदी के संज्ञा शब्दों
की रूपावली में रूप (1) वचन (एकवचन — बहुवचन) तथा (2) विभक्ति (परसर्गहीन
अर्थात् मूल — परसर्ग सहित अर्थात् तिर्यक्) के अनुसार चलते हैं।
संज्ञा के चार रूपावली वर्ग हैं : —
वर्ग (1) | पुंलिंग आकारांत | लड़का, बच्चा, कमरा, खिलौना आदि |
वर्ग (2) | पुंलिंग आकारांत से भिन्न | घर, मुनि, माली, गुरु, चाक, चौबे, जौ आदि। |
वर्ग (3) | स्त्रीलिंग इ/ई कारांत तथा — इया प्रत्यायांत | नदी, कोठरी, बेटी, विधि, रीति, बुढ़िया आदि। |
वर्ग (4) | स्त्रीलिंग इ/ई कारांत आदि से भिन्न | माता, बहन, वस्तु, बहू, बालू, गौ आदि। |
इन वर्गों के कुछ अपवाद भी हैं, जिनका वर्णन नीचे रूपावलियों के साथ किया जा
रहा है। रूपावलियों में संबोधन में प्रयुक्त रूप भी दे दिए गये हैं।
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