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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
हिंदी के उपसर्ग
हिंदी के सामान्य उपसर्ग या उपसर्गवत् शब्दांश नीचे दिए जा रहे हैं:
अ/अन | अनपढ़, अनजान, अनहोनी, अनबोल, अछूत |
नि | निडर, निकम्मा, निपूता, निगोड़ा, निहत्था |
दु | दुबला, दुलार, दुसाध |
क/कु | कपूत, कुचाल, कुढंग |
स/सु | सपूत, सुडौल, सुजान, सुघड़ |
अध | अधजला, अधपका, अधमरा, अधखिला |
बिन | बिनब्याहा, बिनमाँगा, बिनजाने, बिनखाया |
औ | औतार, औगुन, औढर, औघट |
एक से अनेक उपर्सगों का आना
कई बार एक शब्द में दो या तीन उपसर्ग भी मिलते हैं। यह विशेषतः संस्कृत
प्रत्ययों के साथ होता है। उदाहरणार्थ:
समालोचन = सम् + आ + लोचन
पर्यावरण = परि + आ + वरण
व्याकरन = वि + आ + करण
दुर्व्यवहार = दुर् + वि + अव + हार
उर्दू-फारसी के उपसर्ग
बे — बेरहम, बेगुनाह, बेईमान, बेवफा, बेचारा, बेवकूफ़ आदि।
बद — बदनाम, बदबू, बद्सूरत, बद्किस्मत, बद्दुआ आदि।
खुश — खुशबू, खुशहाल, खुशखबरी, खुशमिजाज, खुशनसीब आदि।
ना — नालायक, नाउम्मीद, नादान, नासमझ, नाराज आदि।
गैर — गैरहाज़िर, गैरकानूनी, गैरसरकारी, गैरजिम्मेदारी आदि।
ला — लाइलाज, लापरवाह, लापता, लाजवाब, लावारिस आदि।
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