मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
2. व्यंजन संधि
व्यंजन ध्वनि से परे स्वर या व्यंजन आने से व्यंजन में जो विकार आता है उसे
व्यंजन संधि कहते हैं।
2.1 पहले (वर्गीय) वर्ण का तीसरे (वर्णीय) वर्ण में परिवर्तन :
दिक् + गज = दिग्गज
वाक् + ईश = वागीश
सत् + गति = सद्गति
सत् + वाणी = सद्वाणी
अप् + धि = अब्धि
2.2 पहले वर्गीय वर्ण के बाद “न” या “म” हो तो उस अघोष स्पर्श व्यंजन का
पाँचवें वर्ण में परिवर्तन
(अघोष स्पर्श) (नासिक्य- पंचम वर्ण)
वाक् + मय = वाङ्मय
षट् + मास = षण्मास
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सत् + मार्ग = सन्मार्ग
2.3.1 “त्” या “द्” के बाद यदि ल हो तो त्/द् “ल” में बदल जाता हैं, जैसे –
उत् + लेख = उल्लेख
उत् + लास = उल्लास
शरद् + लास = शरल्लास
2.3.2 त् या द् के बाद यदि ज/झ हो तो त्/द् “ज्” में बदल जाता है, जैसे-
सत् + जन = सज्जन
उद् + झटिका = उज्झटिका
2.3.3 त् या द् के बाद यदि ट/ड हो तो त्/द्, ट्/ड् में बदल जाता है,
जैसे-
तत् + टीका = तट्टीका
उत् + डयन = उड्डयन
2.3.4 त् या द् के बाद यदि श् हो तो त्/द् का च् और श् का छ् हो जाता है,
जैसे-
उत् + श्वास = उच्छवास
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
सद् + शास्त्र = सच्छास्त्र
2.3.5 त् या द् के बाद यदि च्/छ् हो तो त्/द् का च् हो जाता है; जैसे-
उत् + चारण = उच्चारण
सत् + चरित्र = सच्चरित्र
2.3.6 त्/द् के बाद यदि ह हो तो त/द के स्थान पर द और ह के स्थान पर ध् हो
जाता है; जैसे-
तत् + हित = तध्दित
3. जब पहले पद के अंत में स्वर (लिखित रूप में) हो और आगे
के पद का पहला वर्ण “छ” के स्थान पर च्छ हो जाता है; जैसे-
अनु + छेद = अनुच्छेद
छत्र + छाया = छत्रच्छाया
4. जब पहले पद के अंतिम वर्ण “म” के आगे दूसरे पद का प्रथम
वर्ण अंतःस्थ (य,र, ल, व) या उष्म (श, ष. स. ह) वर्णों के अतिरिक्त कोई हो तो
म के स्थान पर पंचम वर्ण अथवा अनुस्वार हो जाता है: जैसे –
सम् + गम = संगम सम् + चय / संचय
अहम् + कार = अहंकार सम् + तोष / संतोष
सम् + वाद = संवाद सम् + बंध / संबंध
सम् + लाप = संलाप सम् + रक्षण =
संरक्षण
सम् + योग = संयोग सम् + हार = संहार
यहाँ ध्यान दें कि म् और उसके बाद म आये तो म दो बार आता है जैसे-
सम् + मति = सम्मति
5. न् का ण् (णत्व विधि)
ऋ, र, ष से परे न् का ण् हो जाता है। चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, स और स के व्यवधान
से ण नहीं होता है; जैसे-
परि + नाम = परिणाम
राम + अयन = रामायण
प्र + मान = प्रमाण
दुर्जन, पर्यटन, रसना, अर्जुन, अर्चना, दर्शन, रतन में ण नहीं होता है।
6. स् का ष् (षत्व विधि)
स् के पहले अ, आ से भिन्न स्वर हो तो स का ष हो जाता है।
अभि + सेक = अभिषेक
वि + सम = विषम
सु + सुप्ति = सुषुप्ति
नोट : विस्मरण और अनुस्वार इसके अपवाद हैं।
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