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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक


हिंदीतर ध्वनियाँ

(क)    अरबी-फ़ारसी या अंग्रेजी मूलक वे शब्द जो हिंदी के अंग बन चुके हैं और उनकी विदेशी ध्वनियों का हिंदी रूपांतर हो चुका है, हिंदी रूप में ही स्वीकार किए जा सकते हैं; जैसे – कलम, किला, दाग आदि (क़लम, क़िला, दाग़ नहीं)। पर जहाँ विदेशी शुद्ध रूप में प्रयोग अभीष्ट हो अथवा उच्चारणगत भेद बताना आवश्यक हो वहाँ उनके हिंदी में प्रचलित रूपों में यथास्थान नुक़्ते लगाए जाएँ; जैसे – खाना, ख़ाना, राज, राज़, फन, फ़न।

(ख)    हिंदी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनके दो-दो रूप बराबर चल रहे हैं। विद्वत्समाज में दोनों रूपों की एक-सी मान्यता है; जैसे – गरदन/गर्दन, गरमी/गर्मी, बरफ/बर्फ, बिलकुल/बिल्कुल, सरदी/सर्दी, कुरसी/कुर्सी, भरती/भर्ती, फुरसत/फुर्सत, बरदाश्त/बर्दाश्त, वापिस/वापस, आखीर/आखिर, बरतन/बर्तन, दोबारा/दुबारा, दूकान/दुकान आदि।

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