श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से वयस्क किस्सेमस्तराम मस्त
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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से
बस अब मैं क्या बताऊँ, जो देखा, मेरा तो पैन्ट में ही गिरने को हो गया। उसका
गोरा बदन, सुडौल वक्ष और छोटे-छोटे बालों के बीच छुपे गुलाबी तिकोन देखते ही
दिमाग पूरी तरह झनझना गया! लगता था कि उसने अपने गदराये तिकोन के बाल कुछ दिनों
पहले ही क्रीम से साफ किये थे। एक मिनट के लिए तो हम दोनों हक्के-बक्के रह गये।
उस वक्त तो मैं वहां से चुपचाप निकल कर चला गया क्यूंकि इस समय घर में और भी
लोग थे और इस तरह गुसलखाने में मामी से बात करते देखकर सभी को अच्छा न लगता।
मामा अक्सर रात को घर देर से आते थे, इसलिए कभी-कभी मामी से उसके कमरे में बैठ
कर मैं बातचीत कर लिया करता था।
उस रात मैंने शरारत से चमकती आँखों से देखते हुए मामी से पूछा-आज तो बड़ा
गड़बड़ हो गया।
मामी ने पूछा–क्या?
मैं बोला वही, सुबह आपको साबुन देते समय!
तो उन्होंने कहा–नहीं! जो हुआ सो हुआ!
मैं बोला–लेकिन मुझे सब कुछ दिख गया!
इस पर वह एक दम शरमा गई और उसका चेहरा लाल हो गया। अब मुझे लगने लगा कि शायद
कुछ जुगाड़ बन सकती थी।
कुछ दिन बाद मामा को किसी काम से बाहर जाना था और उन्हें वापस आने में कम से कम
तीन दिन लग जाते।
उस रात मैंने मामी से कहा–अब आपके आगे के दो-तीन कैसे कटेंगे?
वह बोली–हां बात तो ठीक है, पर क्या करें।
मैंने उनको कैरम बोर्ड खेलने के लिए मना लिया। खेलते-खेलते एक गोटी उनकी साड़ी
के अन्दर जा घुसी। मैंने गोटी ढूँढने के इरादे से झट से साड़ी में हाथ डालना
चाहा तो वो शरमा गई और गोटी खुद निकाल दी।
उन्होनें जब गोटी साड़ी के अन्दर से निकाली तो मुझे उनकी पैन्टी दिख गई थी। मैं
उनकी पैन्टी देख कर गनगना गया था।
खेलने के बाद में मुझे बिस्तर पर बैठे हुए बातें करते समय मेरी हथेली तकिया के
नीचे गई तो मेरे उँगलियों में किसी कड़ी चीज का स्पर्श हुआ मेरा हाथ तिकया के
नीचे गया और जो कुछ निकला वह एक कंडोम का पैकेट था।
इस पर मैंने जानबूझ कर पृछा–मामी, यह क्या कोई पान मसाला है? आप मसाला खाती हो?
मामी बोली–कुछ नहीं है, वहीं रख दो।
मैंने कहा–मामी मैंने टीवी में अक्सर इसका एड भी देखा है, बताओ ना यह क्या
है...?
मामी ने कहा–“तुम तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे कुछ पता ही नहीं।”
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