लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> शिवपुराण

शिवपुराण

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1190
आईएसबीएन :81-293-0099-0

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

100 पाठक हैं

भगवान शिव की महिमा का वर्णन...


कर्क की संक्रान्ति से युक्त श्रावण- मास में नवमी तिथि को मृगशिरा नक्षत्र के योग में अम्बिका का पूजन करे। वे सम्पूर्ण मनोवांछित भोगों और फलों को देनेवाली हैं। ऐश्वर्य की इच्छा रखनेवाले पुरुष को उस दिन अवश्य उनकी पूजा करनी चाहिये। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सम्पूर्ण अभीष्ट फलों को देनेवाली है। उसी मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को यदि रविवार पड़ा हो तो उस दिन का महत्व विशेष बढ़ जाता है। उसके साथ ही यदि आर्द्रा और महार्द्रा  (सूर्य-संक्रान्ति से युक्त आर्द्रा) का योग हो तो उक्त अवसरों पर की हुई शिवपूजा का विशेष महत्त्व माना गया है। माघ कृष्ण चतुर्दशी को की हुई शिवजी की पूजा सम्पूर्ण अभीष्ट फलों को देनेवाली है। वह मनुष्यों की आयु बढाती, मृत्यु-कष्ट को दूर हटाती और समस्त सिद्धियों की प्राप्ति कराती है। ज्येष्ठ मास में चतुर्दशी को यदि महार्द्रा का योग हो अथवा मार्गशीर्ष मास में किसी भी तिथि को यदि आर्द्रा नक्षत्र हो तो उस अवसर पर विभिन्न वस्तुओं की बनी हुई मूर्ति के रूप में शिव की जो सोलह उपचारों से पूजा करता है उस पुण्यात्मा के चरणों का दर्शन करना चाहिये। भगवान् शिव की पूजा मनुष्यों को भोग और मोक्ष देनेवाली है, ऐसा जानना चाहिये। कार्तिक मास में प्रत्येक वार और तिथि में महादेवजी की पूजा का विशेष महत्त्व है। कार्तिक मास आने पर विद्वान् पुरुष दान, तप, होम, जप और नियम आदि के द्वारा समस्त देवताओं का षोडशोपचारों से पूजन करे। उस पूजन में देव-प्रतिमा, ब्राह्मण तथा मन्त्रों का उपयोग आवश्यक है। ब्राह्मणों को भोजन कराने से भी वह पूजन- कर्म सम्पन्न होता है। पूजक को चाहिये कि वह कामनाओं को त्यागकर पीड़ारहित  (शान्त) हो देवाराधन में तत्पर रहे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai