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लेख-आलेख

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781613016374

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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख


हाथों में देखने की शक्ति नहीं होने पर भी कहा जाता है कि अंधेरा इतना गहरा है कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा है। अंधेरे का फायदा उठाकर कुछ लोग हाथ की सफाई दिखा देते हैं। अगर वह हाथ आ जाता है तो लोग उस पर हाथ उठा बैठते हैं। ऐसे में वे लोग भी हाथ साफ कर लेते हैं जिन्होने कभी चींटी भी नहीं मारी होती। किसी पर हाथ उठाने या हाथ जड़ने या हाथ जमाने का मतलब है कानून को अपने हाथ में ले लेना।

हाथ उठाकर अभिवादन किया जाता है पर कोसा भी हाथ उठा-उठाकर जाता है। किसी काम में हाथ लगाने से पहले यदि कोई पीठ पर हाथ रखने वाला हो तो कलेजा हाथ भर का हो जाता है। जो लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है या हाथ से मात्र मक्खी उड़ाते रहते है वे अपनी इज्जत से तो हाथ धो बैठते है, कभी-कभी उन्हें हाथ जूठा करना भी नसीब नहीं होता। ऐसे लोगों को भूख से पीड़ित हो दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। इसीलिए बचपन से ही सीख दी जाती है कि आदमी को रोजी के लिए हाथ पैर मारने के पहले उस विधा में अपने हाथ मांज लेना चाहिए ताकि असफलता मिलने पर हाथ न मलना पड़े।

शादी के अवसर पर जब हम घनिष्ठ रिष्तेदारों को हाथ हिलाते आते देखते हैं तो समझ जाते हैं कि किसी ने इनके हाथ में ठीकरा दे दिया है। हाथ से तंग ऐसे लोगों के सामने हाथ झाड़कर खड़ा नहीं हो जाना चाहिए वरन् उनका हाथ बटाना चाहिए। हां, यह उनका धर्म है कि वे सहायता करने वाले के सामने हाथ बांध कर खड़े हों। वैसे भी बड़े लोगों के सामने हाथ जोड़ लेना ठीक होता है अन्यथा अपनी सनक में यदि कोई हाथ धोकर पीछे पड़ गया तो हाथ में दीपक रहते हुए कुएं में गिरना पड़ सकता है।

अचानक यह पता चलने पर कि सयानी लड़की हाथ-पांव निकालने लगी है मां-बाप के हाथ-पैर फूल जाते हैं। ऐसी स्थिति में हाथ-पांव मारकर लड़की के हाथ पीले करने की बात सोचनी चाहिए। यदि लड़की का पिता ही हाथ में दही जमाए बैठा रहेगा तो कोई रिष्तेदार भला यह उत्तरदायित्व अपने हाथ में क्यों लेगा। अतः सब कामों से हाथ रोककर लड़की का हाथ किसी उपयुक्त पात्र के हाथ में देने का प्रयत्न करना चाहिए। उसके बाद ही हाथ पैर सीधे किए जा सकते हैं।

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