नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
गधा एक अत्यंत सीधा प्राणी होता है। यह अक्सर बोझ ढोने और सवारी करने के अतिरिक्त गाली देने के काम आता है। तिकड़म से अपना काम निकालने वाले इंसान के बाप बनने में इसे कोई गुरेज नहीं। चाणक्य ने इसकी तीन अनुकरणीय विशेषताएं बतलाईं हैं, यथा- बिना विश्राम किए भार ढोना, सर्दी-गर्मी में एक-सा रहना और संतोष धारण करना। गधे की किसी अन्य विशेषता के बारे में मुझे उस दिन पता चला जब बाजार जाते हुए रास्ते में मैंने एक धोबी के घर के सामने भारी भीड़ देखी। उत्सुकतावश मैंने भीड़ में शामिल एक आदमी से वहां लोगों के एकत्र होने का कारण पूछा तो उसने सामने का मकान दिखाते हुए बताया कि यहां रहने वाली धोबिन की मृत्यु हो गई है। मुझे लगा धोबिन अवश्य ´नौ मन´ की यानी लोकप्रिय रही होगी तभी उसकी मृत्यु पर उसके घर के सामने पचास-साठ आदमी खड़े हैं। पूरा मामला विस्तार से मालूम करने पर ज्ञात हुआ कि धोबिन की मौत गधे की दुलत्ती खाकर हुई थी और उसके घर के सामने खड़ी भीड़ का प्रत्येक पत्नी-पीड़ित व्यक्ति धोबिन-हंता गधा खरीदने या किराए पर लेने के लिए उत्सुक था।
घोड़े और गधे एक ही प्रजाति के प्राणी हैं। गधे और घोड़ी के संयोग से वर्णसंकर खच्चर पैदा हुआ जो अपने पिता की तरह मेहनतकश निकला। प्राचीनकाल में खच्चर को अश्वतर यानी श्रेष्ठ अश्व कहा जाता था। यह शब्द आगे भी प्रयोग में आता रहा। उसके अन्य नाम हैं- खेसर, बेसरा, मिश्रज, गर्दभाष्व आदि। गाय, भैंस, बकरी, भेंड़ सभी जुगाली करते हैं परंतु घोडे़, गधे और खच्चर जुगाली नहीं करते। एक ही प्रजाति के जो ठहरे। अपनी शांतिप्रियता के कारण गधा आज भी विकासशील अवस्था में है जबकि युद्ध में शग लेने वाले घोड़े विकसित हो गए। इतिहास साक्षी है कि कभी किसी गधे को घोड़े की तरह युद्ध में सक्रिय भाग नहीं लेने दिया गया।
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