लोगों की राय
पढ़िए, पश्चिम के विलक्षण इतिहासकार की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 8 हजार...
यात्राएं और उनका फलितार्थ
हेरादोतस जो कहानियां सुनाते थे और उनका जो विवरण वे देते थे वह सब उनके यात्राजनित अनुभव पर आधारित होता था। जब हम उन दिनों की यात्राओं की कठिनाइयों और उसके खतरों पर विचार करते हैं तो उनकी यात्राएं, उनसे प्राप्त परिणामों की तरह, उल्लेखनीय हो जाती हैं।
आइए देखें, वे कहां-कहां घूमते रहे! मिस्र को सामान्यतः दो भागों में देखा जाता है- उत्तरी और दक्षिणी भाग। उत्तरी मिस्र में राजा रहता था। वे वहीं गए और नील नदी को देखा। एशिया, बेबीलोन, सूसा और इक्बताना (ईरान में हमदान) की यात्रा करते हुए, काला सागर और डेन्यूब नदी देखते हुए वे क्रीमिया और कोलापिस (आधुनिक जार्जिया) तक गए। जहाज से टायर गए और सीरिया का समुद्री तट देखा। थेरस के समुद्री तट के बारे में जानकारी प्राप्त की, जब वे दक्षिण-पश्चिम में साइरीन गए। उन्होंने लीबिया तक जाने का साहस दिखाया। यूनान की सभी दिशाओं को मझाते हुए वे इपीरस, थैसली, अटिका और पेलोपेनीसोस सहित उन सभी स्थानों पर गए जिनमें उनकी रुचि थी। बहरहाल जहाँ-जहाँ वह गए उन्होंने वहाँ के लोगों से प्रश्न पूछे और उनके उत्तर लिखते गए।
इन यात्राओं का प्राथमिक उद्देश्य कुछ भी रहा हो- यह ध्यान में रखते हुए कि वे यात्राएं इतिहास की खोज में प्रथम इतिहासकार ने की थीं - उनका महत्व बढ़ जाता है। यात्राओं की फलश्रुति हेरादोतस के लेखन में स्पष्ट दिखाई देती है। अक्सर उन पर भूलों के लिए दोषारोपण होता है और धोखा देने का आरोप लगाया जाता है तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अपनी पुस्तक के दूसरे खंड में वे बताते हैं कि एक विषेष तथ्य की पुष्टि के लिए समुद्री यात्रा कर वे टायर तक पुनः गए थे। इससे लेखक की सत्य के प्रति निष्ठा प्रकट होती है।
* *
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai