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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

"माँ आप खाना भी तो अच्छा नहीं बनाती हो।"

माँ बोली, "हाँ, तुम्हें तो वो बाज़ार का गन्दा खाना अच्छा लगता है और जो में पौष्टिक सब्जियां और दालें बनाती हूँ वो सब ख़राब है।"

लेकिन राजू अनसुना करके अपने कमरे में भाग गया। अब उसकी माँ उसके पापा से खाना खाने के बाद बोली, "हमें राजू को ये सब खाने से मना करना पड़ेगा। वो अपने खाने के प्रति काफी लापरवाह हो रहा है और इस उम्र में उसके लिए ठीक नहीं है, यह उसके बढ़ने की उम्र है और वो बाज़ार के खाने से तो बढ़ नहीं सकता। इसका असर उसके मस्तिष्क पर भी पड़ेगा।"

राजू के पापा ने कहा, "वो इतनी जिद्द करता है कि मैं उसे मना नहीं कर पाता।"

उसकी माँ बोली, "तो फिर उसकी बीमारी के लिए तैयार रहना। इतना कह कर वो सो गई।"

जैसा कि होना ही था राजू की माँ ने उसे स्कूल जाने के लिए सुबह जब उठाया तो वो उठ नहीं पा रहा था। उसकी माँ घबरा गई और बोली, "क्या हुआ राजू?"

वो बोला, "माँ उल्टी करने का मन कर रहा है और पेट में दर्द भी हो रहा है।"

उसकी माँ ने कहा, "देखा, मैंने कहा था न कि बाज़ार की चीज मत खाना अब भुगतो।"

इस पर राजू बोला, "माँ मैं ठीक हो जाऊँगा।"

वो हिम्मत ना होते हुए भी उठा और फ्रेश होकर स्कूल के लिए तैयार हो गया। उसके पेट में दर्द अभी भी था लेकिन माँ की डाँट की वजह से वह जबरदस्ती स्कूल को चल दिया।

स्कूल में उसके पेट में जोर से दर्द होने लगा तो टीचर ने उसे स्कूल के क्लीनिक में दिखाया तो डॉक्टर बोला, "इसे तो अस्पताल में ले जाना पड़ेगा क्योंकि इसके पेट में अल्सर के लक्षण लग रहे हैं।"

अब राजू परेशान हो गया था। टीचर ने घर से उसकी माँ को बुलवा लिया था। माँ ने आते ही उसकी टीचर को सारी बात बता दी। अब टीचर भी राजू पर गुस्सा होते हुए बोली, "राजू ये तो गलत बात है कि तुम अपने पेरेंट्स का भी कहना नहीं मानते और ये सब बाज़ार का गन्दा खाना खाते हो।"

राजू ने अब अपनी माँ और टीचर से कहा, "आगे से बाज़ार की कोई भी चीजें नहीं खाऊंगा और माँ जो भी घर में बना कर देगी उसे ही खा लूँगा।"

राजू को उसकी माँ जल्दी से हॉस्पिटल से गई। वहाँ राजू को एक हफ्ते के लिए रखा गया, तब उसके बाद राजू की सेहत में फर्क आया। उसकी पढ़ाई का नुकसान हो रहा था, उसके पापा के पैसे उसके इलाज पर ज्यादा खर्च हो रहे थे और सब लोग परेशान हो रहे थे वो अलग।

राजू की आँखों में आंसू आ रहे थे और जब वो हॉस्पिटल से घर पहुँचा तो अपने पापा और माँ से बोला, "माँ, आज से मैं कुछ भी बाहर का नहीं खाऊंगा और आप लोगों की सारी बातें मानूंगा।"

उसके पापा ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा, "राजू, हर माँ बाप अपने बच्चे की भलाई के लिए ही उनको कुछ गन्दा खाने या कुछ गलत करने पर डांटते हैं।"

राजू की आँख में पश्चाताप साफ़ झलक रहा था लेकिन उसके पापा और माँ खुश थे कि राजू अब ठीक है और उसको अपनी गलती का पछतावा है।

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